जवान बेटे का शव लेकर शमशान में बैठी माँ, देख समाजसेवी शालू ने करायी दाह संस्कार

जवान बेटे का शव लेकर शमशान में बैठी माँ, देख समाजसेवी शालू ने करायी दाह संस्कार

मुजफ्फरनगर में एक दुखिया मां रातभर अपने जवान बेटे का मृत शरीर लेकर शमशान में केवल इसलिए बैठी रही कि उसके पास कफन तक के लिए पैस नहीं थे. मुफलिसी की इस दास्‍ता की आरंभ बेटे की रोग से हुई थी. उपचार पर पाई पाई खर्च हुई. जिसके बाद बेटे की जीवन मृत्यु की आगोश में चली गई. बेटे के आखिरी संस्‍कार के लिए लाचार मां के पास पैसे नहीं थे. इसलिए वह शमशान घाट के बाहर बैठी रही. जानकारी मिलने पर समाजसेवी शालू सैनी ने मृत शरीर का आखिरी संस्‍कार कराया.

आजमगढ से रोजगार की तलाश में 22 वर्षीय राहुल एक साल पहले मुजफ्फरनगर आया था. उसके साथ मां शारदा भी आई थी. दोनों गांव सूजरु में किराए के मकान पर रहने लगे थे. राहुल ने एक फैक्ट्री में जॉब कर ली थी. लेकिन कुछ माह बाद ही राहुल को फेफड़ों में इन्फेक्शन हो गया था. उसने मजदूरी करने के साथ ही जिला अस्‍पताल में उपचार भी कराया. लेकिन इंफेक्‍शन ने पीछा नहीं छोड़ा. जिला हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने राहुल को मेरठ मेडिकल ले जाने के लिए कहा. मां शारदा बेटे राहुल को मेरठ ले गई. राहुल एक माह तक मेरठ मेडिकल में भर्ती रहा. जहां इलाज के बाद गत रविवार को उसकी मृत्यु हो गई थी.

मेरठ से एंबुलेंस में आया था राहुल का शव
जवान बेटे की मृत्यु से मां शारदा टूट गई थी. मेरठ मेडिकल कॉलेज के स्टाफ ने शारदा की मुफलिसी की कहानी सुनी तो उनका दिल पसीज गया. कॉलेज की एंबुलेंस से मृत शरीर मुजफ्फरनगर के नयी मंडी श्मशान घाट लाया गया.

शव लेकर पहुंचने पर श्मशान घाट के दरवाजे हो चुके थे बंद
लोगों के मुताबिक बेटे की रोग में पाई-पाई को मोहताज हो चुकी शारदा के पास कफन और आखिरी संस्कार तक के पैसे नहीं बचे. मेडिकल में उसने स्वास्थ्यकर्मियों के सामने लाचारी बताई. मेरठ में स्वास्थ्यकर्मियों ने उसके बेटे का मृत शरीर मुजफ्फरनगर के श्मशान घाट तक भिजवाने की बात कही. मेडिकल कॉलेज की एंबुलेंस से राहुल का मृत शरीर रविवार देर रात नयी मंडी श्मशान घाट भिजवाया तब तक श्मशान घाट के दरवाजे बंद हो चुके थे. यहां लोगों की आवाजाही नहीं थी.

साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट ने दिखाई मानवीयता
सरकारी एंबुलेंस से राहुल का मृत शरीर तो नयी मंडी श्मशान घाट पहुंच गया था. लेकिन आखिरी संस्कार के पैसे न होने के चलते शारदा बेटे राहुल के मृत शरीर को रातभर श्मशान घाट में ही लिए बैठी रही. सुबह जानकारी मिलने पर साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष शालू सैनी श्मशान घाट पहुंची और आखिरी संस्कार कराया.

शालू गत 2 हफ्ते के दौरान आधा दर्जन से अधिक लावारिस मृत शरीर का आखिरी संस्कार करा चुकी है. लावारिस शवों की वारिस कहलाने वाली शालू सैनी विगत 3 सालों से ऐसी मानवीयता को अंजाम दे रही हैं.