उत्तराखंड में धार्मिक पर्व चैतोल का होने लगा जोर शोर से तैयारी

पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में चैत्र के महीने में यहां सदियों से चले आ रहे धार्मिक पर्व चैतोल का आयोजन होता आया है, जिसमें देवतागणों की डोली को 22 गांवों में ले जाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि चैत के महीने में देवतागण 22 गांवों में अपनी बहनों को मिलने जाते हैं लेकिन इस बार चैतोल पर्व पर इंडियन आर्मी पर देव डोलों का रास्ता रोकने का आरोप लगाते हुए 22 गांव के लोग ढोल नगाड़ों और देव ध्वजों के साथ सड़क पर उतरे। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए उन्हें जाने की अनुमति दी गई।
दरअसल हर वर्ष की तरह देवकटिया गांव के भगवती मंदिर में देव डोला जाता है लेकिन इस बार सेना ने देवकटिया के मंदिर में अपनी बाउंड्री बना कर मंदिर के जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया, जिससे ग्रामीणों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंची है और सभी 22 गांव के लोगों ने महापंचायत कर इसका विरोध किया। भारी संख्या में ग्रामीण कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे, जहां उन्होंने जिलाधिकारी रीना जोशी से रास्ते को खोलने की मांग की। उन्होंने अपने मंदिरों में जाने से रोकने के लिए सेना के विरूद्ध उग्र प्रदर्शन भी किया। जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद ही ग्रामीण शांत हुए।
पिथौरागढ़ की डीएम रीना जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस विषय पर सेना के ऑफिसरों से बात कर ली गई है, जिसमें कुछ शर्तों पर मंदिर में जाने पर सहमति मिली है।
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का बोलना है कि वह इंडियन आर्मी का सम्मान करते हैं लेकिन उनकी धार्मिक आस्था के साथ सेना ने खिलवाड़ किया। आरंभ में सेना के साथ हुई वार्ता में सेना ने केवल 100 लोगों को ही देव डोलों के साथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी, जिस पर सहमति ना बनने से सभी ग्रामीण सड़कों पर उतरे थे।
प्रदर्शन करने वालों में सीनियर सिटीजन और पुजारी भुवन चंद्र शर्मा ने बताया कि ग्रामीणों का भारी विरोध देखने के बाद सेना ने सभी को देव डोले के साथ मंदिर में जाने की अनुमति दे दी है लेकिन नवरात्रों में केवल 10 लोगों को ही मंदिर में प्रवेश दिए जाने की बात सेना के अधिकारी कर रहे हैं। अभी इस मसले का कोई स्थायी निवारण नहीं निकल सका है।