बंगाल भर्ती घोटाला: सुप्रीम कोर्ट का अभिषेक बनर्जी के खिलाफ ईडी और सीबीआई जांच पर रोक से किया इनकार

बंगाल भर्ती घोटाला: सुप्रीम कोर्ट का अभिषेक बनर्जी के खिलाफ ईडी और सीबीआई जांच पर रोक से किया इनकार

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसमें पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के विद्यालय भर्ती घोटाले में तृणमूल कांग्रेस पार्टी नेता अभिषेक बनर्जी के विरूद्ध CBI और प्रवर्तन निदेशालय को जांच की अनुमति दी गई थी. न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने बोला कि जहां तक जांच का प्रश्न है, न्यायालय दखल देने की इच्छुक नहीं है.

हालांकि पीठ ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पर 25 लाख रुपये का जुमार्ना लगाने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अगुवाई कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बोला कि हाई कोर्ट के आदेश में सिर्फ यह बोला गया है कि यदि आप चाहें तो जांच करें और उस आदेश से जांच एजेंसी के पास स्वतंत्र रूप से जांच की शक्ति है.

राजू ने कहा, वह शक्ति अबाध है और इसे छीना नहीं जा सकता है.

बनर्जी का अगुवाई कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बोला कि उनके मुवक्किल भाषण दे रहे थे और उनका मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं था. भाषण में उन्होंने किसी जज का जिक्र नहीं किया.

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि एक निर्देश दिया गया है कि उनकी जांच की जानी चाहिए और बोला कि वह आदेश में त्रुटियां बताएंगे.

पीठ ने बोला कि वह गर्मी की छुट्टियों के बाद मुद्दे को सूचीबद्ध करेगी और हर्जाने पर रोक लगाने पर सहमत हुई.

शीर्ष न्यायालय ने मुद्दे की अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में निर्धारित की है.

सिंघवी ने 22 मई को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि बनर्जी को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था जबकि वह चुनाव प्रचार के लिए राज्य से बाहर गए हुए थे. उन्होंने मुद्दे को जल्द सूचीबद्ध करने के लिए न्यायालय से आग्रह किया था.

पीठ शुक्रवार को मुद्दे की जांच करने पर सहमत हुई थी.

कलकत्ता हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने 18 मई को उसी न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ के पिछले आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों को बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया गया था.

न्यायमूर्ति सिन्हा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय को मुद्दे के अभियुक्तों से पूछताछ करने का अधिकार भी दिया और युवा तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेता कुंतल घोष को बाद के आरोपों के संबंध में निष्कासित कर दिया, जिसमें एजेंसियों पर मुद्दे में बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया गया था.

न्यायमूर्ति सिन्हा ने बनर्जी और घोष पर 25-25 लाख रुपये का जुमार्ना भी लगाया.

मूल रूप से न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने केंद्रीय एजेंसियों को बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया था.

इसके बाद उन्होंने इस मुद्दे में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मुद्दे से जुड़े मुकदमा जस्टिस अमृता सिन्हा की बेंच को ट्रांसफर कर दिए गए.