इस दिन लगेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण ,जानें कब लगता है ग्रहण
Surya Grahan 2023: शरद पूर्णिमा 28 अक्तूबर को चंद्रग्रहण लगेगा। सूर्यग्रहण हिंदुस्तान में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक काशी में कारगर नहीं होगा। श्री काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन होंगे।
लगने वाला सूर्यग्रहण भी
साल 2023 का दूसरा और अंतिम सूर्ग्रयहण 14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा। यह सूर्य ग्रहण पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक और आर्कटिक जैसे राष्ट्रों में देखा जा सकेगा। वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा और इसे हिंदुस्तान में नहीं देखा जा सकेगा, जिसके कारण हिंदुस्तान में सूतक काल मान्य नहीं होगा।
चीन
चीन के लोग मानते हैं कि जब ड्रैगन सूर्य को निगल लेता है तो सूर्य ग्रहण की घटना घटती है। सूर्य को ड्रैगन की गिरफ्त से छुड़ाने के लिए चीनी लोगों के देवता झांग जियान ड्रैगन पर तीर चलाते हैं, इसके बाद सूर्य ड्रैगन की पकड़ से छूट पाते हैं और ग्रहण खत्म होकर स्थिति सामान्य हो जाती है।
इन्का साम्राज्य
इन्का साम्राज्य (अमेरिका में) के लोगों के चंद्र ग्रहण के लिए बहुत ही विचित्र विचार हैं। वे लोग बाकियों की तरह ग्रहण को अच्छा नहीं समझते थे। उनके मुताबिक एक तेंदुआ है जो चाँद पर धावा करता है और उसे खाने की प्रयास करता है, इसी कारण से पूरे चंद्र ग्रहण के दौरान चाँद का रंग लाल हो जाता है।
यूनान
यूनानी सभ्यता के लोगों की अपनी एक अलग कहानी है। यूनानी लोगों का मानना है कि जब ईश्वर लोगों से नाराज हो जाते हैं, तो ग्रहण हो लग जाता है। नाराजगी दूर होने के बाद सूर्य वापस अपनी स्थिति में लौट आते हैं।
बाटामालिबा
बाटामालिबा के लोग (अफ्रीका में) मानते हैं कि चंद्र ग्रहण का मुख्य कारण है सूरज और चाँद के बीच की लड़ाई। उनका मानना है कि लोगों को इस झगड़े को समाप्त कराने की प्रयास करनी चाहिए। इसी कारण वहां के लोग इस दौरान पुराने झगड़ों को भुलाने की प्रयास करते हैं। यह परंपरा वहांआज भी जारी है।
वियतनाम
वियतनाम के लोग ग्रहण की घटना को मेंढक से जोड़ते हैं। उनके मुताबिक एक बड़ा सा मेंढक जब सूर्य या चंद्रमा को निगल लेता है तब ग्रहण लग जाता है। ईश्वर जब उस मेंढक को थूकने के लिए कहते हैं, तब वो थूकता है और सूर्य या चंद्रमा जो भी उसकी पकड़ में होता है, वो वापस अपनी स्थिति में आ जाता है। इसी के साथ ग्रहण खत्म हो जाता है।
जानें कब लगता है ग्रहण
दरअसल पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता है। इस कड़ी एक क्षण ऐसा आता है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है। तीनों के एक सीध में होने के कारण चंद्रमा तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती और इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। वहीं जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है तो सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती, ऐसे में सूर्य ग्रहण लगता है।
भारत में नहीं दिखेगा वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण ?
14 अक्तूबर को लगने वाला वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण हिंदुस्तान में नहीं दिखाई देगा, क्योंकि यह सूर्य ग्रहण रात में लगेगा। यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मैक्सिकों, अर्जेटीना, पेरू, क्यूबा, कोलांबिया और ब्राजील में देखा जा सकेगा।
कहां कहां दिखाई देगा सूर्यग्रहण
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि वर्ष का दूसरा सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका के क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना, कोलंबिया, क्यूबा, बारबाडोस, पेरु, उरुग्वे, एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका, हैती, पराग्वे, ब्राजील, डोमिनिका, बहामास, आदि जगहों पर दिखाई देगा।
प्राकृतिक आपदाओं की आशंका
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि ग्रहण की वजह से प्राकृतिक आपदाओं का समय से अधिक प्रकोप देखने को मिलेगा। इसमें भूकंप, बाढ़, सुनामी, विमान दुर्घटनाएं, किसी बड़े गुनाहगार का राष्ट्र में वापस आने का संकेत मिल रहे हैं। प्राकृतिक आपदा में जनहानि कम ही होने की आसार है। फिल्म एवं राजनीति से दुखद समाचार। व्यापार में तेजी आएगी। रोंगों में कमी आएगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।