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झोपड़ी से निकलकर पवन ने पास की UPSC CSE परीक्षा

UPSC आईएएस Exam Result : कहते हैं कामयाबी किसी सुविधा और लाइमलाइट की मोहताज नहीं होती. अपने लक्ष्य पाने को ईमानदारी और दृढ़ निश्चय हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल भी कदमों तले होती है. छोटे से गांव में पले बढ़े और झोपड़ी से निकलकर राष्ट्र की सबसे बड़ी परीक्षा यूपीएससी पास करने वाले पवन कुमार की कहानी संघर्षों से भरी हुई है. पवन को आईएएस बनाने के लिए पूरे परिवार ने मजदूरी तक की. लेकिन अब बेटे की सफलता होने पर गांव में शुभकामना देने वालों का ताता लगा हुआ है. बुलंदशहर के स्याना तहसील क्षेत्र के गांव रघुनाथपुर निवासी पवन कुमार ने सिविल सर्विसेज परीक्षा में 239 वीं रैंक प्राप्त की है. लेकिन इस परीक्षा को पास करने के लिए पवन कुमार और उनके परिवार ने बहुत संघर्ष किया है.

गांव में 50 गज के घर में एक कच्चा पुराना कमरा है जिसकी छत कच्ची है. पिता मुकेश कुमार राणा, माता सुमन देवी और तीन बहने गोल्डी, सृष्टि और सोनिका सहित पूरा परिवार झोपड़ी में रहकर गुजर बसर करते हैं. पिता मुकेश कुमार गांव में चार बीघा जमीन में खेती के अतिरिक्त मेहनत मजदूरी भी करते हैं. मुकेश कुमार ने कहा कि पवन कुमार बचपन से ही होनहार था और प्रारम्भ से ही आईएएस बनने की मन में ठान ली थी. पवन कुमार नवोदय विद्यालय से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब कोचिंग और ग्रेजुएशन के लिए इलाहाबाद गया तो घर में आर्थिक तंगी बेटे की पढ़ाई में बाधा बनने लगी. पिता ने पढ़ाई में किसी प्रकार की कोई कमी न रह जाए इसलिए पूरे परिवार ने मजदूरी भी की. पवन ने कहा कि वह अगले सप्ताह गांव लौटेंगे और अपने सफलता का श्रेय माता-पिता, अपने मामा और गुरुजनों को दिया है.

जब मोबाइल दिलाने के लिए परिवार को करनी पड़ी मजदूरी
पवन को पढ़ाने के लिए मां ने गहने बेचे. पिता और बहनों ने मजदूरी की. बेटे का चयन यूपीएससी में होने के बाद बुधवार को पवन की तीनों बहनें माता-पिता खेतों पर गेहूं की कटाई करने चले गए. इस दौरान गांव में शुभकामना देने वाले और मीडिया कर्मियों का जमावड़ा लग गया. खेत पर काम छोड़कर घर लौटे तो पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े. रुंधे गले से पिता मुकेश कुमार ने बोला कि पवन को औनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल की आवश्यकता पड़ी, लेकिन घर में इतने रुपए नहीं थे कि मोबाइल दिला दें. इसके लिए पवन की तीनों बहनें, माता-पिता ने कई दिनों तक मेहनत मजदूरी की. तब जाकर 3200 रुपये जुटाए और एक पुराना मोबाइल खरीद कर पवन कर दिया. कुछ दिन पवन ने औनलाइन पढ़ाई की इसके बाद दिल्ली के मुखर्जी नगर से कोचिंग प्रारम्भ की.

पवन के पिता ने कहा कि छप्पर के घर में रहते हैं. पीएम आवासीय योजना के अनुसार मकान बनवाने के लिए आवेदन किया तो गड़बड़ी कर दी गई. उन्हें अपात्र बता दिया गया. पवन की मां चूल्हे पर ही रोटी बनाती हैं. गैस सिलिंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं.

जब पिता कहे बड़े हो घर में जिम्मेदारी है, छोटी-मोटी नौकरी कर लो
पिता मुकेश कुमार ने कहा कि पवन घर में तीन बहनों में बड़ा है. पवन की पढ़ाई में बहुत खर्चा हो रहा था और तीनों बहनें भी पढ़ाई कर रही थी. बेटियों के विवाह की चिंता भी पिता को सताने लगी तो एक दिन उन्होंने बोला कि पवन कोई छोटी-मोटे नौकरी कर लो. लेकिन पवन ने उत्तर दिया कि उसका लक्ष्य आईएएस बनना है और वह लक्ष्य से नहीं भटक सकता. इसके बाद पूरे परिवार ने उन्हें सपोर्ट किया और महज 24 वर्ष की उम्र में ही यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली.

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