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आखिर कैसे बीकानेर में धस गई 1.5 बीघा जमीन…

बीकानेर: प्रदेश के बीकानेर 16 अप्रेल को डेढ़ बीघा जमीन के धंसने के मुद्दे में वैज्ञानिकों की टीम ने अपना सर्वे पूरा कर चुका है. बीते 6 दिनों से टीम यहां जांच पड़ताल कर रही थी. आज टीम वापस लौट चुकी है. राजस्थान के रेगिस्तान यानी बीकानेर में जमीन के एक भाग के 70 फीट गड्ढे का ऑब्जर्वेशन पूरा, वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया जमीन के धंसने का क्या रहस्य है. 30 मई को टीम 6 दिन की गहन जांच पड़ताल के उपरांत लौट गई.

जियोलॉजिकल के वैज्ञानिकों ने बीकानेर में 70 फीट जमीन धंसने का ऑब्जर्वेशन पूरा कर लिया. GSI की टीम 6 दिनों से बीकानेर में ही थी. 30 अप्रैल को वैज्ञानिकों ने अपना काम पूरा कर लिया. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया की टीम 24 अप्रैल को बीकानेर आ गई. यहा धंसी हुई जमीन का ऑब्जर्वेशन भी किया. इसके कारणों का पता लगा लिया है.

GSI के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने अपनी राय व्यक्त की तो जियोलॉजिस्ट डाक्टर देवेश खंडेलवाल की बात पर मुहर भी लग चुकी है. उन्होंने इस बार कहा था कि वॉटर लॉगिंग की वजह से जमीन धंसी. हालांकि GSI के किसी वैज्ञानिक ने मीडिया से बात नहीं की. उनका कहना था कि वे अपनी रिपोर्ट वरिष्ठ वैज्ञानिकों को सौंप देंगे. वही इस बारे में बात करने वाले है. बीकानेर की लूणकरणसर तहसील के सहजरासर गांव में 16 अप्रैल को तकरीबन डेढ़ बीघा जमीन धंस गई थी. 24 अप्रैल को जीएसआई यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया की टीम मौके पर पहुंची.

जमीन धंसने के कारणों का पता लगा रही है. जमीन धंस जाने के उपरांत  जब भूगर्भ शास्त्री से इसकी वजह पूछी गई तो उनका यही कहना था कि किसी जमाने में यहां जमीन के नीचे पानी का कोई प्राकृतिक स्त्रोत रहा होगा. जिसके सूख जाने के उपरांत यहां वैक्यूम बन गया. अचानक उसके खत्म हो जाने से जमीन धंस गई होगी. लेकिन वास्तविक कारण का पता जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया की टीम बाटने वाली है.

बीकानेर से आए भू-वैज्ञानिकों ने वॉटर लॉगिंग को जमीन के धँसने का कारण कहा गया. वहीं क्षेत्रीय लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं थे. उनका यह बोलना था कि ये क्षेत्र रेगिस्तान है और सदियों से ऐसा ही होता चला आ रहा है. ऐसे जमीन के नीचे पानी के जमा होने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता. कुछ लोग इसे प्राकृतिक आपदा भी बता रहे है, वहीं कई लोग इसे ईश्वरीय प्रकोप भी कह रहे हैं. सबके अपने-अपने तर्क थे. डेढ़ बीघा जमीन में अचानक 70 फुट नीचे धंसने की घटना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बन गई. आसपास के लोगों ने क्षेत्र में कई वर्षों पहले बिजली गिर गई थी.

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