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अप्रैल माह में कब होगी काल भैरव की पूजा, जानें शुभ तिथि

 हिंदू धर्म में सभी पर्व और त्योहार किसी न किसी देवी-देवता से संबंध होता है. बता दें कि हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस समय चैत्र का महीना चल रहा है, इस माह में भी कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. ज्योतिषियों के अनुसार, कालाष्टमी के दिन ईश्वर शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है. मान्यता है जो लोग कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा और व्रत रखते हैं उनके जीवन में कभी भी किसी भी चीज की कमी नहीं होती है. साथ ही जीवन से सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं. तो आज इस समाचार में जानेंगे कि चैत्र माह में कालाष्टमी का व्रत कब है, शुभ मुहूर्त क्या है और पूजा विधि क्या है.

कालाष्टमी पर्व का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की आरंभ 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट पर होगी और समापन अगले दिन यानी 2 अप्रैल दिन मंगलवार को रात 8 बजकर 8 मिनट पर होगी. कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा रात में की जाती है इसलिए कालाष्टमी का पर्व 1 अप्रैल को मनाया जाएगा.

कालाष्टमी 2024 की पूजा विधि

ज्योतिषियों के अनुसार, कालाष्टमी के दिन सुबह उठकर काल भैरव बाबा का ध्यान करें. काल भैरव का ध्यान करने के बाद स्नान कर निवृत हो जाएं. उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद चौकी पर कपड़ा बिछाकर काल भैरव बाबा की मूर्ति या फोटो स्थापित करें. फोटो या मूर्ति स्थापित करने के बाद बिल्व पत्र, फूल, फल, धतूरा और अन्य चीजें भी अर्पित करें. उसके बाद दीपक जलाएं और सच्चे मन से आरती करें. साथ ही भैरव कवच का पाठ भी करें. पाठ करने के बाद भैरव बाबा को विशेष चीजों का भोग लगाएं. रात्रि में कीर्तन जरूर करें. साथ ही अगले दिन विधि-विधान से पूजा पाठ करके व्रत खोलें.

कालाष्टमी पर्व का महत्व

कालाष्टमी का व्रत ईश्वर भैरव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है. मान्यता है कि जो लोग कालाष्टमी के दिन काल भैरव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं उनकी सारी इच्छा पूर्ण हो जाती है. साथ ही जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं. घर में सुख-शांति आती है. आर्थिक तंगी दूर हो जाती है. साथ ही काल भैरव बाबा प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद भी देते हैं

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