कैसे दुबई में कृत्रिम बारिश की कोशिश बनी जलप्रलय…
दुबई: रेगिस्तान का शहर कहे जाने वाले दुबई में इस समय बाढ़ का कहर जारी है। प्रसिद्ध शॉपिंग मॉल में पानी भर गया है। पार्किंग में गाड़ियाँ तैर रही हैं और सड़कें झील बन गई हैं. हालात ऐसे हैं कि एयरपोर्ट भी बाढ़ के पानी में डूब गया है, इसलिए हवाई पट्टी दिखाई नहीं दे रही है। शहर की ड्राइवरलेस मेट्रो प्रबंध भी ठप हो गई है। रेतीली ज़मीन पर अचानक इतनी बारिश क्यों हो गई? यह जल प्रलय क्यों आया? हर कोई एक ही प्रश्न पूछ रहा है। कुछ वैज्ञानिकों ने कहा कि यह विज्ञान के प्रयोग की एक गलती है, जिसका खामियाजा पूरा शहर भुगत रहा है.
वैज्ञानिकों के अनुसार सोमवार और मंगलवार को क्लाउड सीडिंग के लिए विमान उड़ाए गए. क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से कृत्रिम वर्षा उत्पन्न की जाती है. लेकिन पूरी योजना उस समय गड़बड़ा गई जब कृत्रिम बारिश कराने की प्रयास में बादल फट गया। बोला जाता है कि पूरा शहर जलमग्न हो गया था और ऐसी बाढ़ आई थी जिसके बारे में किसी ने कभी दुबई के बारे में सोचा भी नहीं होगा. दुबई के अतिरिक्त एक और शहर फुजैराह में भी ऐसी ही स्थिति है. यहां 5.7 इंच तक बारिश हुई।
इस बारिश के कारण रास अल-खैमा में एक आदमी की मृत्यु हो गई है। वह अपनी कार से वहां से गुजर रहे थे लेकिन उनकी कार बाढ़ के पानी में बह गई। दुनिया के सबसे बड़े शॉपिंग सेंटरों में से एक मॉल ऑफ एमिरेट्स की हालत ऐसी हो गई कि छत से पानी टपकने लगा. इतना ही नहीं, कुछ दुकानों की छतें भी गिर गईं। दुबई के मौसम को जानने वाले लोगों का बोलना है कि पिछले 75 वर्ष के इतिहास में इतनी बारिश कभी नहीं हुई. इस बारिश के कारण शारजाह सिटी सेंटर और देरा सिटी सेंटर को भी हानि पहुंचा है।
दुबई एयरपोर्ट पर उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं। इतना ही नहीं, पार्किंग में खड़ी कारें पानी में इस कदर डूब गई हैं कि उन्हें बाहर निकालना नामुमकिन है। सभी घरों और कॉलोनियों में पानी भर गया है। अभी दुबई के ऑफिसरों ने टैंकर भेजे हैं और पंपों की सहायता से पानी निकाल रहे हैं। दुबई में महज 24 घंटे में 142 मिलीमीटर बारिश हुई है. दुबई में पूरे वर्ष में औसतन 94.7 मिलीमीटर बारिश होती है. इस तरह कुछ ही घंटों में करीब डेढ़ बारिश हो चुकी है।
संयुक्त अरब अमीरात में वर्षा आमतौर पर बहुत कम होती है. यह पूरे साल लगभग सूखा रहता है. सामान्य वर्षा शीत ऋतु के महीनों में होती है. वर्षा की कमी के कारण अब जल निर्यात की प्रबंध नहीं की गयी है. इतना ही नहीं, यूएई के अतिरिक्त सऊदी अरब, बहरीन, कतर जैसे राष्ट्रों में भी पर्याप्त बारिश होती है. अरब खाड़ी के अधिकतर राष्ट्रों का यही हाल है.