UP STF की मोस्ट वांटेड माफिया विनोद उपाध्याय के साथ सुल्तानपुर में हुई मुठभेड़
उत्तर प्रदेश एसटीएफ (UP STF) की गुरुवार की सुबह गोरखपुर (Gorakhpur) जिले के टॉप टेन लिस्ट में शामिल मोस्ट वांटेड माफिया विनोद उपाध्याय (Mafia Vinod Upadhyay) के साथ सुल्तानपुर (Sultanpur) में एनकाउंटर (Encounter) हो गई। जानकारी के अनुसार भागने की प्रयास के दौरान विनोद ने कई राउंड फायरिंग की। लेकिन जवाबी कार्रवाई में एसटीएफ की गोली से माफिया विनोद ढेर हो गया। विनोद उपाध्याय के सिर गोरखपुर पुलिस ने एक लाख रुपए पुरस्कार की घोषणा की थी। विनोद गोरखपुर के गुलरिहा थाना में दर्ज मुद्दे में वांछित चल रहा था। वहीं एसटीएफ चीफ अमिताभ यश (STF Chief Amitabh Yash) ने कहा कि गुरुवार सुबह एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह (Deputy SP Deepak Singh) की टीम के साथ हुई एनकाउंटर में गोरखपुर का लुटेरे विनोद उपाध्याय घायल हुआ था। उसको हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन मृत्यु हो गई। गोरखपुर अपराध ब्रांच और पुलिस को उसकी जमीन कब्जाने, मर्डर और मर्डर के कोशिश समेत कई मामलों में करीब 7 महीने से तलाश कर रही थी। विनोद के पास से एसटीएफ ने चाइनीज पिस्टल-30 बोर, स्टेन गन 9 एमएम फैक्ट्री मेड, जिंदा कारतूस और स्विफ्ट कार बरामद की है। योगी गवर्नमेंट ने 68 वांटेड माफियाओं की लिस्ट जारी की थी, उसमें टॉप-10 में विनोद उपाध्याय का नाम भी शामिल था।
प्रयागराज जा रहा था विनोद
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार विनोद उपाध्याय का इन दिनों राजधानी लखनऊ समेत नोएडा, दिल्ली, प्रयागराज, झारखंड समेत कई जगहों पर रियल एस्टेट का काम चल रहा था। फरारी के दौरान वह इन शहरों में छिपकर रहता था और पुलिस के डर से रात का यात्रा करता था। गुरुवार देर रात भी वह कार से प्रयागराज जा रहा था। इस बीच, उसकी लोकेशन एसटीएफ को मिल गई। एसटीएफ ने उसे सुल्तानगंज के पास घेरा तो मुठभेड़ हो गया। जानकारी के अनुसार फरारी के दौरान गोरखपुर के गोरखनाथ थाने का एक हिस्ट्रीशीटर माफिया विनोद को पनाह दिए हुए था। क्योंकि वह हिस्ट्रीशीटर और विनोद दोनों सूद का कारोबार मिलकर करते थे। विनोद अक्सर हिस्ट्रीशीटर के लखनऊ, दिल्ली और मुंबई सहित अन्य ठिकानों पर पनाह लेता था। दोनों अंदर ही अंदर एक बार फिर से राजनीति में एंट्री की प्रयास कर रहे थे। विनोद उपाध्याय ने 2007 में गोरखपुर से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। लेकिन, वह हार गया था।
कोर्ट में सरेंडर का था प्लान
विनोद उपाध्याय पुत्र रामकुमार उपाध्याय मूल रूप से अयोध्या जिले के मयाबाजार थाना क्षेत्र के उपाध्याय का पुरवा का रहने वाला था। क्राइम की दुनिया का बड़ा नाम और यूपी के टॉप 68 माफिया की सूची में शामिल माफिया विनोद कुमार उपाध्याय पर एडीजी जोन गोरखपुर ने एक लाख रुपए का पुरस्कार घोषित किया था। पहले 50 हजार का पुरस्कार घोषित था। 7 महीने से एसटीएफ के साथ अपराध ब्रांच और गोरखपुर जिले की पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। 41 वर्ष की उम्र में विनोद के विरुद्ध गोरखपुर समेत अन्य जिलों में 39 मुकदमे दर्ज थे। लेकिन, उसका दबदबा ऐसा था कि किसी भी मुद्दे में अब तक उसे सजा नहीं हुई थी। गोरखपुर पुलिस सूत्रों ने कहा कि विनोद अपनी पत्नी और बेटी को लेकर फरार चल रहा था। चर्चा थी कि उसने बस्ती और महारागंज में सरेंडर का प्लान किया था। लेकिन, वह कर नहीं पाया था। बता दें कि 24 मई 2023 को गोरखपुर कैंट क्षेत्र के दाउदपुर में रहने वाले कैंसर पीड़ित पूर्व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रवीण श्रीवास्तव ने गुलरिहा पुलिस स्टेशन में विनोद उपाध्याय, उसके भाई संजय, नौकर छोटू और दो अज्ञात के विरुद्ध रंगदारी मांगने, तोड़फोड़ करने का केस दर्ज कराया था।
राघवेंद्र यादव की भी पुलिस कर रही तलाश
इस मुद्दे में पुलिस ने नौकर छोटू को अरैस्ट कर कारावास भेजा था। फरार चल रहे विनोद और उसके भाई पर 25-25 हजार रुपए का पुरस्कार घोषित किया था। इसके बाद इनामी राशि 50 हजार, फिर 1 लाख की गई। कुछ महीनों पहले प्रदेश के डीजीपी विजय कुमार ने प्रदेश के टॉप- 68 माफिया की लिस्ट में शामिल लुटेरों पर की गई कार्रवाई की समीक्षा की थी। इसमें प्रदेश के 9 लुटेरों पर कारगर कार्रवाई न होने पर उन्होंने नाराजगी जताई थी। इसमें गोरखपुर से विनोद उपाध्याय का नाम भी शामिल था। विनोद गोरखपुर जोन के 11 जिलों में दूसरा सबसे बड़ा इनामी क्रिमिनल था। उस पर एक लाख का पुरस्कार था। पहले नंबर पर राघवेंद्र यादव का नाम है। 4 लोगों की मर्डर करने वाला झंगहा के सुगहा गांव का राघवेंद्र पर 2.50 लाख रुपए का पुरस्कार घोषित है। वह वर्ष 2016 से फरार चल रहा है।
अप्रैल 2023 में जारी हुआ था एनबीडब्ल्यू
गोरखपुर की शाहपुर थाना पुलिस ने वर्ष 2010 में विनोद उपाध्याय, उसके भाई संजय उपाध्याय और सहयोगी प्रभाकर द्विवेदी के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की थी। इस मुकदमे की सुनवाई विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर शशिभूषण कुमार शांडिल की न्यायालय में चल रही थी। सुनवाई पर हाजिर न होने की वजह से माफिया और उसके भाई के विरुद्ध अप्रैल में गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। तभी से पुलिस विनोद की तलाश कर रही थी। हालांकि इस बीच पुलिस का प्रेशर बढ़ता देख माफिया के भाई संजय उपाध्याय ने न्यायालय में सरेंडर कर दिया था। जबकि पुलिस ने उसके कई गुर्गो को अरैस्ट भी किया। कई बार विनोद ने भी पुलिस को चकमा देकर न्यायालय में सरेंडर करने की प्रयास की। लेकिन वह इससे सफल नहीं हो सका। विनोद पर पुलिस की कार्रवाई देख उससे पीड़ित हुए लोग भी खुलकर सामने आने लगे। इस दौरान विनोद के विरुद्ध कई मुकदमे दर्ज हुए थे।
विनोद के गैरकानूनी मकान पर चला था बुलडोजर
गोरखपुर में 17 जून 2023 को विनोद उपाध्याय के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया था। सलेमपुर मोगलहा में माफिया के गैरकानूनी मकान की पहले बाउंड्रीवाल तोड़ी। इसके बाद इमारत को ढहा दिया गया। साथ ही उसके कब्जे से 7000 स्क्वायर फीट जमीन को भी खाली कराया गया था। दरअसल, मोगलहा में कोल्ड स्टोर सोसायटी की जमीन पर विनोद ने करीब 15 वर्ष पहले कब्जा किया था। ये सोसायटी जीडीए यानी गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अंडर में आती है।
छात्रनेता से जयराम की दुनिया तक का सफर
माफिया विनोद एक थप्पड़ के बदले हत्या करने से चर्चा में आया था। इसके बाद विनोद जयराम की दुनिया में आ गया था। 2004 में गोरखपुर कारावास में बंद नेपाल भैरहवा के क्रिमिनल जीतनारायण मिश्र ने विनोद को किसी बात पर एक कारावास में थप्पड़ मार दिया था। विनोद कुछ दिन बाद जमानत पर बाहर आया। उधर, जीतनारायण को बस्ती कारावास भेज दिया गया। 7 अगस्त 2005 को जमानत मिल गई। जीतनारायण अपने बहनोई गोरेलाल के साथ संतकबीरनगर के बखीरा जाने के लिए जीप पर बैठा। जैसे ही वह उतरा कार से आए लुटेरों ने घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग प्रारम्भ करके मार डाला। इस हत्याकांड से विनोद चर्चा में आया था। फिर विनोद की नजर FCI के अतिरिक्त रेलवे के ठेके पर भी रहती थी। इसको लेकर विनोद ने हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुशील सिंह को अगवा कर लिया था। फिर सुशील को गोरखपुर शहर के अंदर विजय चौराहे से गणेश होटल तक पीटते हुए ले गया। सुशील छोड़ देने की प्रार्थना कर रहे थे लेकिन विनोद को तरस नहीं आया। बाद में मुद्दा दर्ज हुआ पर कार्रवाई नहीं हुई। इन दो काण्ड के बाद विनोद पुलिस की नजर में आ गया। बोला जाता है कि गोरखपुर के बाहुबली हरिशंकर तिवारी का हाथ विनोद के सिर पर था इसलिए वह क्राइम के बाद भी बच जाता था।
मायावती ने की थी विनोद के समर्थन में रैली
जरायम की दुनिया से विनोद ने राजनीति में आने की सोची थी। उसने बीएसपी से अपने राजनीति यात्रा की आरंभ की। एक दौर में बीएसपी के दिग्गज नेता सतीश मिश्रा से विनोद की काफी नजदीकी रही है। 2007 में बीएसपी ने विनोद को गोरखपुर जिले का प्रभारी बना दिया था। इसके बाद 2007 में गोरखपुर सदर सीट से प्रत्याशी बनाया। मायावती स्वयं विनोद के समर्थन में रैली करने गोरखपुर गई थी। लेकिन जब नतीजे आए तो विनोद चौथे जगह पर रहा। बीजेपी के डाक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी। इसी बीच, गैंगवार के चलते विनोद के विरुद्ध 2007 में ही लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में मर्डर का केस दर्ज हुआ था। 2008 में भी मर्डर के कोशिश का केस दर्ज हुआ था। इसके बाद विनोद की राजनीति से दूरी होती चली गई।