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एजेंसी का दावा- बैंकों की ऋण वृद्धि 16 प्रतिशत से घटकर हो जाएगी 14 प्रतिशत

नई दिल्ली वर्ष 2024 भारतीय बैंकिंग सिस्‍टम के सामने नयी चुनौतियां पैदा कर सकता है ग्‍लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने बोला है कि बैंकों के पास पैसों की कमी हो रही है, जिससे इस वर्ष लोन बांटने की प्रक्रिया भी सुस्‍त पड़ सकती है रेटिंग एजेंसी ने बोला है कि बैंक जिस गति से लोन बांट रहे हैं, उस गति से उनके पास डिपॉजिट नहीं आ रहे जाहिर है कि लोन बांटने के लिए पर्याप्‍त धन की कमी होने से इस वर्ष सुस्‍ती दिखाई दे सकती है

रेटिंग एजेंसी ने कहा, चालू वित्त साल में भारतीय बैंकों की कर्ज वृद्धि, लाभप्रदता और संपत्ति की गुणवत्ता मजबूत रहेगी, जो मजबूत आर्थिक वृद्धि को दर्शाती है हालांकि, वे अपनी कर्ज वृद्धि को धीमा करने के लिए विवश हो सकते हैं, क्योंकि जमा राशि समान गति से नहीं बढ़ रही है एशिया-प्रशांत में बीते वित्त साल की दूसरी तिमाही के बैंकिंग अपडेट में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की निदेशक एसएसईए निकिता आनंद ने बोला कि एजेंसी को आशा है कि चालू वित्त साल में यदि जमा वृद्धि, विशेष रूप से खुदरा जमा, धीमी रहती है, तो क्षेत्र की मजबूत कर्ज वृद्धि 16 फीसदी से घटकर 14 फीसदी हो जाएगी

कर्ज ज्‍यादा और जमा कम
आनंद ने बोला कि प्रत्येक बैंक में ऋण-से-जमा अनुपात में गिरावट आई है कर्ज वृद्धि जमा वृद्धि की तुलना में दो-तीन फीसदी अधिक है निकिता आनंद ने एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के हाल ही में हुए एक सेमिनार में कहा, ‘हमें आशा है कि बैंक चालू वित्त साल में अपनी कर्ज वृद्धि में कमी लाएंगे और इसे जमा वृद्धि के अनुरूप बनाएंगे यदि बैंक ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें थोक धन प्राप्त करने के लिए अधिक भुगतान करना होगा, जिससे मुनाफे पर असर पड़ेगा

निजी बैंकों ने बांटे ज्‍यादा कर्ज
आम तौर पर कर्ज वृद्धि सबसे अधिक प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में हुई है इनमें लगभग 17-18 फीसदी की वृद्धि देखी गई है दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में 12-14 फीसदी की सीमा में कर्ज वृद्धि देखी गई है इसका मतलब हुआ कि प्राइवेट बैंकों ने ज्‍यादा ऋण बांटे हैं और एफडी जैसे डिपॉजिट कम होने से उनके पास ऋण बांटने की राशि में कमी आ सकती है

एफडी पर बढ़ सकता है ब्‍याज
बैंकिंग एक्‍सपर्ट का बोलना है कि लोग ज्‍यादा ब्‍याज वाले दूसरे विकल्‍पों में निवेश कर रहे हैं, जिससे बैंक जैसे पारंपरिक विकल्‍पों में गिरावट आई है जाहिर है कि ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बैंकों को एफडी पर ज्‍यादा ब्‍याज देना पड़ेगा, तभी उनके डिपॉजिट में वृद्धि होगी और वे लोन बांट पाएंगे हालांकि, बैंक ऐसा करते हैं तो उनके सही मुनाफे पर भी असर पड़ना तय है

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