उत्तर प्रदेश

जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह की असहाय और दर्दनाक मौत, पढ़ें इनकी पूरी कहानी

अनेक बेगुनाहों को मृत्यु की नींद सुलाने वाला दुर्दांत, सफेदपोश माफिया मुखिया मुख्तार अंसारी आज एक निर्बल और भयावह मृत्यु का शिकार हो गया. उसकी मृत्यु से बहुत से लोगों को आतंक से मुक्ति मिली तो कई लोगों को निर्दोष अपनों की मृत्यु का बदला मिला. सात वर्ष पहले तक अजेय माने जाने वाले इस क्रिमिनल को जीवन में पहली बार कानून की ताकत का अंदाजा प्रदेश में योगी गवर्नमेंट बनने के बाद हुआ. न्यायालय में योगी गवर्नमेंट की कारगर पैरवी के चलते ही उसको अपने हर गुनाह की सजा मिली. वरना ‘सजा और मुख्तार’ तो समंदर के दो किनारे थे.

सपा-बसपा गवर्नमेंट में मुख्तार अंसारी की धाक

अपनी लहीम-सहीम कद-काठी के चलते सबसे अलग दिखने वाला मुख्तार जरायम की दुनिया का वो बेताज बादशाह था जिसकी आवाज ही खौफ का पर्याय हुआ करती थी. सरकारें बदलीं, सीएम बदले लेकिन नहीं बदला तो मुख्तार का जलवा. कारावास से अपनी आपराधिक हुकूमत चलाने का हुनर दुनिया को मुख्तार ने सिखाया. उसके काले कारनामों और कारावास से जारी संगठित अपराधों के बारे में सब कुछ जानते हुए भी सपा, बीएसपी की सरकारों ने कभी कोई कठोर कार्यवाही नहीं की, विपरीत प्रश्रय ही दिया. समुदाय विशेष को जिस क्रिमिनल में रॉबिन हुड दिखाई देता था, उस मुख्तार अंसारी को अपने वोट बैंक के लिए सीएम रहे मुलायम, मायावती, अखिलेश ने कभी कोई ‘हानि’ नहीं पहुंचाई.

मऊ के दंगों के बाद बना कौम का रहनुमा

मुख्तार को बचाने और उसके रुतबे को बढ़ाने के लिए समाजवादी पार्टी गवर्नमेंट ने डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह को तो इतना प्रताड़ित किया कि उन्होंने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए पुलिस की सेवा से त्याग-पत्र देना ही बेहतर समझा. इस वाकिये से पुलिस बल का आत्मशक्ति काफी गिर गया था. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की बर्बर मर्डर के बाद तो पूर्वांचल में मुख्तार की समानांतर गवर्नमेंट ही चलने लगी थी. मऊ के दंगों के बाद तो प्रदेश समेत राष्ट्र के मुस्लिमों के बीच उसकी छवि ‘कौम के रहनुमा’ के तौर पर बन गई थी. क्रूरता और सांप्रदायिकता से लबरेज अंसारी को फख्र के साथ उसके लोग ‘दूसरा लादेन’ भी बोलते थे. उसकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 5 बार विधायक रहा मुख्तार 3 बार तो कारावास से ही चुनाव लड़कर जीता था.

योगी गवर्नमेंट बनते ही मारकेश योगी शुरू

हालांकि इन सबके दरम्यान ऐसे अनेक मौके आए कि जब मुख्तार को उसकी करनी का फल कानून दे सकता था लेकिन ऐसा करने की सियासी इच्छाशक्ति सूबे के किसी सदर-ए-रियासत के पास नहीं थी. लिहाजा, जरायम की दुनिया में अंसारी प्रत्येक दिन बड़ा होने लगा. रक्तबीज की तरह प्रदेश के कोने-कोने में उसके गुर्गे फैलने लगे. लेकिन हर रावण का अंत निश्चित है. वर्ष 2017 में बीजेपी की गवर्नमेंट और योगी आदित्यनाथ के सीएम बनते ही सभी माफियाओं की कुंडली में ‘मारकेश’ योग बैठ गया था तो फिर मुख्तार कैसे बचता?

पुलिस की सक्रियता और न्यायालय में कारगर पैरवी से मुख्तार के अपराधों की सजा उसको मिलने लगी. उसकी गैरकानूनी अचल संपत्तियों पर चले कानून के बुलडोजर के तले अंसारी के अजेय होने का दंभ भी रौंद दिया गया. जरायम की दुनिया में उसकी बादशाहत का घोषणा करती लखनऊ स्थित गगनचुंबी इमारतों के टूटते ही उसके गुरूर को जमींदोज होते हुए दुनिया ने देखा.

मुख्तार अंसारी पर 155 FIR

विदित हो कि मुख्तार अंसारी गैंग के सदस्यों पर अब तक 155 FIR दर्ज की गई हैं. मुख्तार की अब तक कुल ₹586 करोड़ की संपत्ति बरामद की जा चुकी है और 2100 से अधिक गैरकानूनी कारोबारों को बंद किया जा चुका है. बीते 18 महीनों में उसे 8 मामलों में सजा हुई है.

ये सब इतना सरल नहीं था. योगी जैसे जीवंत, सशक्त और मजबूत सियासी इच्छाशक्ति वाले सीएम की सरपरस्ती में ही ऐसी वैधानिक और ऐतिहासिक कार्यवाहियां संभव होती हैं. योगी की क्राइम के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति कुछ और नहीं प्रभु श्री राम के उद्घोष ‘निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह’ की आधुनिक अभिव्यक्ति है.

योगी गवर्नमेंट ने न्यायालय में गिड़गिड़ाने के लिए किया मजबूर

मुख्तार अंसारी ने अपनी जरायम की लंका को बनते, वैभवशाली होते फिर अपने ही सामने जमींदोज होते हुए देखा. वो अपनी कथित बादशाहत को समाप्त होते हुए देखने के लिए विवश हुआ. जो जेल उसके लिए ऐशगाह, आरामगाह और पनाहगाह थे, योगी गवर्नमेंट में वे उसे कानून का पाठ पढ़ा रहे थे. न्यायालय में उसे न्यायधीश के सामने गिड़गिड़ाते सभी ने देखा.

पत्नी पर 75 हजार का इनाम  

अपनी इस दुर्गति के हर क्षण में वो उन काले कारनामों को जरूर याद करता होगा, जिनके चलते उसे ये दिन देखने के लिए मजबूर होना पड़ा. उसकी सम्पत्ति और ताकत की दरिंदगी के शिकार परिवारों का मातम, बिलखते बच्चों और सूनी मांगों का रुदन जरूर उसके कानों में गूंज रहा होगा. पत्नी अफशां पर भी ₹75,000 का पुरस्कार है. वो फरार है. बेटा अब्बास अंसारी कारावास में है. एक बेटा उमर भी फरार है. सजाओं की लंबी होती फेहरिस्त, गुर्गों पर होती सख्त कार्यवाहियों, क्रिमिनल परिवारजनों पर कानून के कसते शिकंजे ने मुख्तार के मन को तोड़ दिया था. रोग ने चेहरे की रौनक और कानून ने उसकी ताकत को छीन लिया. आखिरकार मृत्यु ने अपने आगोश में लेकर उसकी अनेक तकलीफों का अंत कर दिया.मुख्तार का ऐसा भयावह अंत हर क्रिमिनल के लिए संदेश है कि…

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