हरदा धमाके में दो बच्चों ने अपने घरवालों को खो दिया, बच्चों का रो-रोकर हुआ बुरा हाल
हरदा: मध्य प्रदेश के हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट को लगभग 24 घंटे का वक़्त गुजर चुका है। दमकल विभाग की टीम अब भी आग बुझाने का काम कर रही है। फैक्ट्री से मलबा हटाया जा रहा है। हादसा में 11 व्यक्तियों की जान जा चुकी है। लगभग 200 लोग चोटिल हैं। अभी बचाव और राहत कार्य जारी है। पता लगाया जा रहा है कि मलबे में कोई और बॉडी नीचे दबी तो नहीं है। इस भयंकर हादसा में फैक्ट्री के साथ ही एक घर के परखच्चे उड़ गए। दो बच्चों ने अपने घरवालों को खो दिया है। हादसा के बाद से बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है।
दुर्घटना में पीड़ित परिवार ने अपने माता-पिता को खो दिया है। पीड़ित लड़की का नाम नेहा चंदेल है। परिवार में एक छोटी बहन एवं छोटा भाई है। नेहा का घर पटाखा फैक्ट्री के पास था। फैक्ट्री में हुए विस्फोट में नेहा के माता -पिता की मृत्यु हो गई। फैक्ट्री में जब विस्फोट हुआ तो नेहा कोचिंग गई हुई थी। उसने वापस आकर देखा तो उसका घर गिरा हुआ था। माता-पिता के खोने के साथ ही उसका सब कुछ बर्बाद हो गया। अभी प्रशासन की तरफ से इन पीड़ित बच्चों को लेकर कुछ खास घोषणा नहीं की गई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि अब हादसा में माता-पिता को खोने के बाद अब इन रोते- बिलखते बच्चों का क्या होगा?
हरदा पटाखा फैक्ट्री पर लगी भयंकर आग पर 4 बड़े प्रश्न खड़े हो गए हैं। सबसे पहला प्रश्न ये है कि इस फैक्ट्री को रिहायशी क्षेत्र में चलाने की अनुमति किसने दी? दूसरा प्रश्न ये है कि दीपावली पर अनियमितता मिलने की वजह से फैक्ट्री को सील किया गया था। किस अधिकारी ने बाद में फैक्ट्री को खोलने की अनुमति दी है? तीसरा प्रश्न ये है कि नियमों के अनुसार, अनुमति एक मंजिला इमारत की थी, लेकिन यहां दो मंजिल इमारत थी। हरदा पटाखा फैक्ट्री में हुई हादसा के बाद अब चौथा प्रश्न ये है कि क्षमता से अधिक बारूद यहां पर था। आखिर प्रशासन ने ये अनदेखी क्यों की है? इन चार बड़े प्रश्नों के बीच आज मुख्यमंत्री मोहन यादव भी हरदा पहुंचेंगे। आशा है गुनेहगार अफसरों पर बड़ी कार्रवाई होगी।