CJI Chandrachud: CJI ने पेंडिंग केस और फैसलों पर वकीलों के कमेंट पर जताई चिंता
CJI DY Chandrachud: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लंबित मामलों और न्यायालय के फैसलों पर वकीलों के कमेंट पर चिंता जताई है। उन्होंने बोला कि वकीलों के इस व्यवहार से वे परेशान हैं। सीजेआई ने न्यायपालिका की अखंडता की रक्षा करने और कानूनी सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए एक स्वतंत्र बार और बार एसोसिएशन बनाए रखने के महत्व पर बल दिया।
वकीलों के व्यवहार पर जताई चिंता
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बोला कि न्यायपालिका के कंधे चौड़े हैं और वह प्रशंसा के साथ-साथ निंदा भी सह सकती है। लेकिन लंबित मामलों या फैसलों पर टिप्पणी करने की वकीलों की हालिया प्रवृत्ति बहुत परेशान करने वाली है।
सीजेआई ने वकीलों को दी नसीहत
उन्होंने बोला कि बार के पदाधिकारियों और सदस्यों को न्यायिक फैसलों पर प्रतिक्रिया करते समय यह नहीं भूलना चाहिए कि वे न्यायालय के अधिकारी हैं, आम आदमी नहीं। सीजेआई ने बोला कि न्यायपालिका बार-बार अपनी स्वतंत्रता और गैर-पक्षपातपूर्णता पर बल देने के लिए आगे आई है।
क्या कहे सीजेआई
उन्होंने बोला कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बार की स्वतंत्रता के बीच घनिष्ठ संबंध है। एक संस्था के रूप में बार न्यायिक स्वतंत्रता, कानूनी मूल्यों और न्यायालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए जरूरी है। हिंदुस्तान जैसे जीवंत और तर्कशील लोकतंत्र में, अधिकतर व्यक्तियों की सियासी विचारधारा या झुकाव होता है। वकील कोई अपवाद नहीं हैं। हालांकि, बार के सदस्यों के लिए किसी का सर्वोच्च भलाई पक्षपातपूर्ण हितों के साथ नहीं बल्कि न्यायालय और संविधान के साथ होना चाहिए।
खुद को आम आदमी से अलग करें।।
उन्होंने बोला कि बार एसोसिएशन के सदस्यों और पदाधिकारियों के रूप में, वकीलों को न्यायालय के फैसलों पर प्रतिक्रिया करते समय स्वयं को आम आदमी से अलग करना चाहिए। आप सबसे पहले न्यायालय के सबसे जरूरी अधिकारी हैं। हिंदुस्तान का संविधान एक समावेशी संविधान है जिसका उद्देश्य हर आदमी को एक साथ लाना है।