पतियों की ये आदतें पत्नियों को करती हैं परेशान
समय बर्बाद मत करो
शादी के बाद सबसे बड़ी और आम गलती, जो लगभग सभी पति करते हैं, वह है अपनी पत्नियों के लिए समय न निकालना। यह सच है कि पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ कार्यालय और अन्य चीज़ों में व्यस्तता बढ़ाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने साथी की उपेक्षा करना प्रारम्भ कर दें। इस तरह के व्यवहार से पत्नियों को काफी हानि होता है। उन्हें लगने लगता है कि उनका पति उनसे प्यार नहीं करता और यह बात उनके दिल में इस तरह घर करने लगती है कि भावनाएं गुस्से के रूप में बाहर आने लगती हैं।
संबंध संबंधी मामलों में मां की बात सुनना
मां की स्थान कोई नहीं ले सकता। लेकिन जब शादीशुदा जीवन से जुड़े निर्णय लेने की बात आती है तो पत्नी को इसमें सबसे अहम किरदार निभानी चाहिए। किसी भी बात पर अपने बड़ों से राय लेना एक बात है, लेकिन अपनी शादीशुदा जीवन से जुड़ी हर बात अपनी मां को बताना और केवल उनकी ही बात सुनना पत्नियों के मन में चिड़चिड़ापन ही पैदा करेगा। वह एक-दो बार इस व्यवहार को नजरअंदाज कर सकती है, लेकिन यदि उसे लगे कि उसकी शादीशुदा जीवन का नियंत्रण उसकी सास के हाथ में है, तो घर में प्रतिदिन झगड़े आम हो जाएंगे।
बैचलर लाइफ की आदतें न छोड़ें
यह एक और बात है जो कई विवाहित स्त्रियों को परेशान करती है। लड़कियों को विवाह से पहले ही घर संभालने की ट्रेनिंग मिलनी प्रारम्भ हो जाती है। वहीं, घरेलू कामकाज और जिम्मेदारियों में लड़कों की हिस्सेदारी आमतौर पर नगण्य होती है। ऐसे में जब विवाह हो जाती है तो ज्यादातर लड़के अपनी बैचलर लाइफ की आदतें नहीं छोड़ पाते। ऐसे में लड़की को लगने लगता है कि वह पत्नी नहीं बल्कि मां की किरदार निभा रही है। यह उन्हें इस तरह से ट्रिगर करता है कि चीजें गलत हो जाती हैं।
बच्चों के पालन-पोषण में योगदान नहीं करता
आमतौर पर भारतीय परिवारों में बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी स्त्रियों पर ही रखी जाती है। जिसके कारण स्थिति ऐसी हो जाती है कि उन्हें घर और बाहर के कामों के साथ-साथ बच्चे से जुड़ी सभी बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है। यह स्थिति जबरदस्त तनाव पैदा करती है। भावनाएँ चिड़चिड़ापन और कलह के रूप में सामने आने लगती हैं। इससे घर का पूरा वातावरण विषाक्त हो जाता है।