स्वास्थ्य विशेषज्ञ : भारत में दुनियाभर के देशों में नींद की सबसे ज्यादा है कमी
अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर रोज कम से कम 7 घंटे की नींद महत्वपूर्ण है। नींद की कमी से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से शरीर प्रभावित होता है। स्वास्थ्य जानकारों के अनुसार, हिंदुस्तान में पूरे विश्व के राष्ट्रों में नींद की कमी (Lack of sleep) सबसे अधिक है।
<img class="alignnone wp-image-595432" src="https://www.newsexpress24.com/wp-content/uploads/2024/03/newsexpress24.com-world-sleep-day-india-sleepwalking-into-a-health-crisis-experts-warn-patrika-news-।jpeg” alt=”” width=”1459″ height=”971″ />
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LocalCircles के सर्वेक्षण में पाया गया कि पिछले 12 महीनों में 61% हिंदुस्तानियों को रात में 6 घंटे से भी कम की नींद आई। नींद से वंचित हिंदुस्तानियों की संख्या पिछले दो वर्षों में लगातार बढ़ रही है। 2022 में ये आंकड़ा 50% और 2023 में 55% था।
ऑनलाइन रहने की आदत और तनाव
चेन्नई के अपोलो स्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रभाश प्रभाकरन का बोलना है कि हिंदुस्तान नींद की गंभीर परेशानी से जूझ रहा है। हमारी हमेशा औनलाइन रहने की आदत और तनाव इसे और बढ़ा देते हैं। पूरे विश्व में नींद की कमी (Lack of sleep) सबसे अधिक हिंदुस्तान में है। हमें नींद के महत्व को समझना होगा। अच्छी नींद से न सिर्फ़ मानसिक और शारीरिक निरोग अच्छा रहता है बल्कि गैर-संक्रामक रोगों से भी बचा जा सकता है।
नींद की कमी से मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल
फरीदाबाद के मैरेंगो एशिया हॉस्पिटल्स के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ गजेंद्र कुमार गोयल का बोलना है कि नींद की कमी (Lack of sleep) से दिल की स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इससे ब्लड प्रेशर और हार्ट दर बढ़ जाता है।
डॉ गजेंद्र बताते हैं कि आम तौर पर रात में ब्लड प्रेशर 10 से 20% तक कम हो जाता है। लेकिन नींद की कमी (Lack of sleep) में ऐसा नहीं होता, जिससे रात में हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की परेशानी हो जाती है। इससे दिल संबंधी रोंगों का खतरा बढ़ जाता है।
डिजिटल डिवाइसों के अधिक इस्तेमाल
पी। डी। हिंदूजा हॉस्पिटल और एमआरसी, माहिम के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट और एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ लैंसलॉट पिंटो का बोलना है कि नींद की कमी खराब आदतों और डिजिटल डिवाइसों के अधिक इस्तेमाल से भी हो सकती है। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। नींद को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि एक आदमी के जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोने में ही बीतता है।
पुणे के डीपीयू सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सतीश निराले का बोलना है कि नींद की कमी से शीघ्र डिमेंशिया होने का खतरा भी रहता है। इससे याददाश्त, एकाग्रता, क्रिएटिविटी और परेशानी सुलझाने की क्षमता प्रभावित होती है।
उन्होंने कहा कि नींद की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इससे मूड स्विंग, घबराहट और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।