बिहार

दियारा इलाके में बड़े पैमाने पर की जा रही तरबूज की खेती, नेपाल तक होती है इसकी सप्लाई

कटिहार गंगा और कोसी जैसी नदियों में हर वर्ष बाढ़ आता है और इसके साथ पंक बहकर आता है बाढ़ समाप्त होने के बाद नदियों का जलस्तर घटता है तो जमीन निकल जाता है पंक के चलते मिट्टी बहुत उपजाऊ हो जाती है और फसलों का बंपर उत्पादन होता है कटिहार जिला स्थित कुरसेला के गंगा और कोसी के दियारा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मौसमी फलों के साथ किसान तरबूज की खेती कर रहे हैं बालू की रेत पर नगदी फसल के रूप में तरबूज की खेती किसानों को लिए वरदान साबित हो रही है बालू की रेत पर उल्टा हालातों में कड़ी मेहनत कर किसान तरबूज जैसे मौसमी फल की खेती कर रहे हैं इस क्षेत्र किसानों की मानें तो बालू की रेत पर तरबूज की खेती में बीज, सिंचाई और खाद सहित निराई में प्रति एकड़ 30 हजार तक का खर्च आता है जबकि मौसम अनुकूल रहा तो प्रति एकड़ 60 हजार तक की बचत हो जाती है

गंगा और कोसी के दियारा क्षेत्र के किसान तरबूज के अतिरिक्त ककड़ी, बतिया, खीरा जैस मौसमी फलों की सैकड़ों एकड़ में खेती करते हैं किसान जनवरी से लकर फरवरी माह तक में बीज बोते हैं मार्च से अप्रैल माह तक में लत तैयार हो जाता है तकरीबन ढाई से तीन महीने में फल बिक्री के लिए तैयार हो जाता है कुरसेला के दियारा क्षेत्र में तरबूज की खेती करने वाले किसानों का बोलना है कि खेतों में फल के तैयार होने पर बाजार तक लाने में कठिनाई होती है नाव पर फलों को लेकर नदियों को पार करना पड़ता है उसके बाद ट्रैक्टरों पर लादकर बाजार तक बिक्री के लिए ले जाना पड़ता है इससे आर्थिक हानि भी सहना करना पड़ता है किसानों के मुताबिक तरबूज का थौक दर 10 से 20 रूपए प्रति किलो तक मिल जाता है और बाजार में 25 से 30 रूपए प्रति किलो में बिकता है बाजार में फल का अधिक आवक होने से व्यापारी नेपाल से लेकर राष्ट्र के अन्य शहरों तक ट्रांसपोर्ट के जरिए बिक्री के लिए भेज देते हैं

नेपाल तक हो रही है तरबूज की सप्लाई

किसानों के अनुसार फल के तैयार होकर पकने के बाद रोजाना 40 से 50 ट्रैक्टर तरबूज कुरसेला के बाजार में बिक्री के लिए भेजा जाता है इसके अतिरिक्त कुरसेला से बाहर भी सप्लाई होती है यहां के लोकल ट्रांसपोर्टर के अनुसार रोजाना 5 से 10 ट्रक तरबूज नेपाल, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विभिन्न शहरों में भेजा जाता है सबसे अधिक तरबूज की सप्लाई नेपाल और बंगाल में होती है वहीं छोटे-छोटे गाड़ी बिहार के मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, अररिया, सुपौल, छपरा, बेगूसराय ले जाकर बिक्री करते हैं एक माह तक बाजार में तरबूज का आवक जारी रह सकता है तरबूज स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है इसमें 92 फीसदी पानी होता है, जो डिहाईड्रेशन की कमी को दूर करने में कारगर  है

Related Articles

Back to top button