बिहार के वैशाली में शराब तस्करी में इंजीनियरिंग का इस्तेमाल

उत्पाद विभाग द्वारा लगातार हो रही कार्रवाई से शराब कारोबारियों में खलबली है, लिहाजा उत्पाद विभाग को चकमा देने के लिए शराब व्यवसायी लगातार नया नया प्रयोग कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्पाद विभाग को गुप्त सूचना मिली कि राघोपुर दियारा से बाइक के माध्यम से शराब की स्मग्लिंग हो रही है। इसके बाद उत्पाद विभाग को उस बाइक का नंबर मिला जिसके आधार पर पुलिस ने छापेमारी की गई और शराब स्मग्लिंग के इस नये ढंग का खुलासा हुआ।
दरअसल, उत्पाद विभाग की टीम ने दियारा से सराय की ओर जा रही बाइक को रहिमापुर के पास रोक लिया। पहले तो उत्पाद विभाग को कुछ हाथ नहीं लगा, लेकिन जब बारीकी से बाइक की जांच की गई तो बाइक की टंकी में पेट्रोल की स्थान शराब भरी हुई थी। इतना ही नहीं, बाइक चलाने के लिए बाइक की सीट के अंदर से पाइप के सहारे कार्बोरेटर तक पेट्रोल का कनेक्शन किया गया था। इस इंजीनियरिंग को देखकर उत्पाद विभाग के पदाधिकारी भी दंग रह गए।
पढ़ाई के लिए नहीं था पैसा
पकड़े गए पुरुष का नाम मंजय कुमार है जो तेरसिया दियर का रहनेवाला है जिससे पूछताछ की जा रही है। शराब से भरी बाइक की टंकी के साथ पकड़े गए पुरुष मंजय ने बताया कि बचपन में पढ़ने का शौक था, लेकिन पैसा नहीं था इसलिए आठवीं तक पढ़ाई कर छोड़ दिया।आरोपी ने आगे बताया कि घर में बैठे-बैठे ही बाइक से शराब स्मग्लिंग का ख्याल आया और फिर अपने दिमाग से शराब ढोने के लिए बाइक की टंकी का उपयोग किया। बाइक चलाने के लिए सीट के अंदर से कार्बोरेटर तक कनेक्शन देकर बाइक चलाने का जुगाड़ कर लिया। जिससे 20 से 25 हजार रुपये आराम से महीने का हो जाता है। उसने बताया कि प्रति लीटर सौ रुपये देशी शराब खरीद कर डेढ़ सौ रुपये लीटर बेच देता है।
एक ही नंबर का इस्तेमाल
उत्पाद इंस्पेक्टर अजित शरण ने बताया कि लगातार हो रही छापेमारी के कारण शराब कारोबारियों ने उपाय बदल दिया है। सबसे हैरत की बात तो यह है कि एक नंबर का कई बार उपयोग किया जा रहा है। नवंबर महीने में इसी नंबर की एक गाड़ी को उत्पाद विभाग ने शराब के साथ पकड़ा था और फिर से उसी नंबर की गाड़ी से अनोखे अंदाज में शराब की स्मग्लिंग की जा रही है। मतलब साफ है कि पुलिस और उत्पाद विभाग की आंखों में धूल झोंकने के लिए इस तरह के उपायों का उपयोग किया जा रहा है।