बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में 19 साल बाद आया ये फैसला
लखनऊ: बसपा विधायक राजू पाल की मर्डर के मुद्दे में लखनऊ की सीबीआई न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाते हुए बाकी सभी सात आरोपियों को गुनेहगार करार दिया है. न्यायालय ने उनमें से छह को जीवन भर जेल की सजा सुनाई है, जबकि एक को चार वर्ष की कारावास की सजा दी गई है। आरोपियों में गैंगस्टर अतीक अहमद और अशरफ भी शामिल थे, जिनकी निर्णय से पहले पुलिस हिरासत में मृत्यु हो गई थी.
मामला 25 जनवरी 2005 का है, जब बीएसपी से निर्वाचित विधायक राजू पाल की धूमनगंज, प्रयागराज में गोलियों से भूनकर मर्डर कर दी गई थी. मर्डर के पीछे का मकसद सियासी प्रतिद्वंद्विता से जुड़ा था, क्योंकि राजू पाल ने माफिया नेता अतीक अहमद के भाई अशरफ को विधानसभा चुनाव में हराया था. अतीक अहमद ने अपने साथियों के साथ मिलकर राजू पाल पर दिनदहाड़े धावा कराया था. 2004 के चुनावों में राजू पाल की जीत के कारण अतीक अहमद के गुट के साथ तनाव पैदा हो गया, जिसकी परिणति खतरनाक घात में हुई. 25 जनवरी 2005 को जैसे ही राजू पाल एसआरएन हॉस्पिटल से बाहर निकले, स्कॉर्पियो कार में सवार हमलावरों ने उन्हें निशाना बनाया. राजू पाल की चचेरी बहन रुखसाना के साथ होने और एक अन्य गाड़ी के साथ काफिले का हिस्सा होने के बावजूद, हमलावरों ने उसे ओवरटेक किया और कई बार गोली मारी. हमले में संदीप यादव और देवीलाल की मृत्यु हो गई, जबकि रुखसाना घायल हो गई.
इस क्रूर घटना में राजू पाल को कुल 19 बार गोली मारी गई थी, जिसमें एक सम्बन्धी और प्रत्यक्षदर्शी उमेश पाल ने मुद्दे में जरूरी गवाही दी थी. बाद में मुद्दे की सुनवाई के दौरान ही अतीक के बेटे ने गवाह उमेश पाल की भी मर्डर कर दी थी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने अतीक के बेटे का मुठभेड़ कर दिया था. CBI की विशेष न्यायालय द्वारा सभी सात आरोपियों को गुनेहगार ठहराना राजू पाल के परिवार के लिए इन्साफ की दिशा में एक जरूरी कदम है और इससे प्रयागराज में सियासी अत्याचार के एक लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का पटाक्षेप हो गया है.