उत्तर प्रदेश

कांग्रेस के दिग्गज नेता और वाराणसी के पूर्व सांसद डा राजेश मिश्रा ने थामा भाजपा का दामन

वाराणसी लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता और वाराणसी के पूर्व सांसद डा राजेश मिश्रा ने बीजेपी का दामन थाम लिया है उन्होंने दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में बीजेपी ज्वाइन की बीएचयू की विद्यार्थी राजनीति से राजनीतिक जीवन की आरंभ करने वाले डा राजेश मिश्रा एमएलसी भी रहे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के गठबंधन होने के बाद से ही डा राजेश मिश्रा के तेवर तल्ख दिख रहे थे राजेश मिश्रा भदोही से टिकट चाह रहे थे लेकिन ये सीट इण्डिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई

इसके बाद राजेश मिश्रा ने सीट बंटवारे के फार्मूले पर नाराजगी जाहिर करते हुए बोला था कि जो 17 सीटें कांग्रेस पार्टी के हिस्से में आई हैं वहां अमेठी रायबरेली जैसी कुछ सीटों को छोड़कर पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं है उन्होंने वाराणसी से चुनाव लड़ने से मना करते हुए यहां तक बोला था कि स्वयं कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी वाराणसी से लड़ने के इच्छुक नहीं है अजय राय भी बलिया से टिकट चाहते हैं और ये सीट भी समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई है

कांग्रेस ने वो सारी सीटें सपा को सौंप दीं
उस समय डा राजेश मिश्रा के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी जालौन, सलमान खुर्शीद फरुर्खाबाद और निर्मल खत्री फैजाबाद सीट से टिकट चाहते हैं लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने ये सारी सीटें समाजवादी पार्टी को दे दीं तब से ही उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हो गई थीं उस समय जब मीडिया से वार्ता में डा राजेश मिश्रा ने वाराणसी सीट से विपक्ष की मजबूती के प्रश्न पर यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस पार्टी की वाहन वाराणसी की पटरी से उतर चुकी है यानी वाराणसी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का अभेद किला जैसा हो गया है

कांग्रेस की सोच क्या है? कोई समझ नहीं पा रहा
डा राजेश मिश्रा की पहली नाराजगी कुछ महीने पहले उस समय भी सामने आई थी जब अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था तब राजेश मिश्रा ने भूमिहारों की संख्या पूछते हुए बोला था कि बिहार, झारखंड के बाद उत्तर प्रदेश में भी भूमिहार जाति से प्रदेश अध्यक्ष देने के पीछे कांग्रेस पार्टी की सोच क्या है क्योंकि प्रदेश में एक प्रतिशत जनसंख्या भी भूमिहारों की नहीं है, ऐसे में तीन प्रदेश की कमान देने का क्या औचित्य

कौन है राजेश मिश्रा जिनके आने से वाराणसी और पूर्वांचल पर पड़ेगा असर
खैर, अब जबकि राजेश मिश्रा ने बीजेपी का दामन थाम लिया है तो प्रश्न उठता है कि इसका वाराणसी और पूर्वांचल के चुनाव में क्या फर्क पड़ेगा बता दें कि राजेश मिश्रा बीएचयू के सीनियर विद्यार्थी नेता रहे हैं केंद्रीय मंत्री डा महेंद्रनाथ पांडेय, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जम्मू कश्मीर के उप गवर्नर मनोज सिन्हा के साथ डा राजेश मिश्रा ने बीएचयू की विद्यार्थी राजनीति से राजनीतिक ककहरा पढ़ा है ऐसे में राजेश मिश्रा की स्वीकारता युवाओं मे भी है पूर्वांचल का बड़ा ब्राह्मण चेहरा है

कई सीटों पर ब्राह्मण वोटों की अहमियत
2019 के लोकसभा चुनाव मे पार्टी ने उन्हें देवरिया से चुनावी मैदान में उतारा है यदि देखा जाए तो वाराणसी में पूर्व सीएम पंडित कमलापति त्रिपाठी, डा राजेश मिश्रा और मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट में आयुष मंत्री डा दयाशंकर मिश्र दयालु कांग्रेस पार्टी के ब्राह्मण चेहरे थे लेकिन दोनो ही अब बीजेपी में है जबकि कमलापति त्रिपाठी की राजनीतिक विरासत संभाल रहे उनके पोते ललितेशपति त्रिपाठी ने तृणमूल कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है ललितेशपति त्रिपाठी के मिर्जापुर और भदोही से चुनाव लड़ने की चर्चा है वाराणसी समेत आसपास की कई सीटों पर ब्राह्मण वोटों की अहमियत काफी है तो प्रश्न उठता है कि क्या किसी जमाने मे कांग्रेस पार्टी का वोट माना जाने वाला ब्राह्मण अब पार्टी से किनारा कर चु

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