किसानों के मसीहा को मिलेगा भारत रत्न…पढ़ें पूरी खबर
पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को राष्ट्र के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजे जाने की घोषणा हुई है। यह घोषणा पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडिल एक्स पर की है। चौधरी चरण सिंह को किसानों का नेता माना जाता है। उन्होंने ग्रामीण हिंदुस्तान के विकास में जरूरी किरदार निभाई थी। पीएम ने ट्विटर पर लिखा -यह हमारी गवर्नमेंट का सौभाग्य है कि राष्ट्र के पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को सम्मानित किया जा रहा है। राष्ट्र के लिए उनके अभूतपूर्व सहयोग की वजह से उन्हें हिंदुस्तान रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। वे किसानों के लिए हमेशा लड़े और आपातकालीन के दौरान भी डटे रहे।
जाट परिवार में हुआ था जन्म
चौधरी चरण सिंह का जन्म यूपी के हापुड़ जिले के एक जाट परिवार में 1902 में हुआ था। उन्होंने आजादी के समय राजनीति में कदम रखा और जीवन भर राजनीति में एक्टिव रहे। चौधरी चरण सिंह ने आगरा यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा ली थी और गाजियाबाद से उन्होंने वकालत की प्रैक्ट्रिस प्रारम्भ की थी। चौधरी चरण सिंह महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थे, यही वजह था कि उन्होंने डांडी मार्च और सत्याग्रह आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
देश के पांचवें पीएम बने
इमरजेंसी के बाद जब राष्ट्र में गवर्नमेंट बनी तो मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में वे उपप्रधानमंत्री बनें। मोरारजी देसाई की गवर्नमेंट जब गिर गई तो चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक पीएम की कुर्सी संभाली। हालांकि चौधरी चरण सिंह की गवर्नमेंट भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और सहयोगियों के समर्थन वापस लेने की वजह से गवर्नमेंट गिर गई। 1977 में जब जेपी ने मोरारजी देसाई को पीएम की कुर्सी के लिए चुना था, तो वे नाराज हो गए थे।
गरीबों और किसानों के लिए काम
चौधरी चरण सिंह को उनके भूमि सुधार कानूनों का मसौदा तैयार करने और उसे लागू करवाने के लिए हमेशा याद किया जाता है। वे 1960 के दशक में कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता माने जाते थे। उन्होंने किसानों की इतनी वकालत की कि किसानों ने उन्हें निर्विवाद रूप से अपना नेता मानते थे। पीएम की कुर्सी से हटने के बाद भी चौधरी चरण सिंह अपनी पार्टी लोकदल के जरिए जीवन भर किसानों और गरीबों के अधिकार के लिए आवाज बुलंद करते रहे। 29 मई 1987 को उनका मृत्यु हुआ। अजीत सिंह उनके पुत्र और जयंत सिंह उनके पौत्र हैं।