साल 2023 में देश के 5 चर्चित ‘एनकाउंटर्स’ के बारे में जानें
जहां एक तरफ वर्ष 2023 अब ख़त्म होने की कगार पर है। लेकिन फिर भी राष्ट्र में क्राइम और क्रिमिनल ख़त्म नहीं हो पा रहें है। देखा जाए तो क्राइम समाज के लिए एक ‘कैंसर’ जैसी बिमारी है। इसका कोई उपचार नहीं है, हां सिर्फ़ कुछ मानदंडो और कानून की सहयता से इस पर रोक लगाए जाने की प्रयास होती है। लेकिन क्राइम रुपी इस बिमारी के घातक ‘कीटाणु’ यानी की क्रिमिनल जब हद से बाहर या बेलगाम हो जाते हैं तब उनका उपचार केवल ‘एनकाउंटर’ (Encounter) रुपी इंजेक्शन से उपचार किया जाता है।
अब वर्ष के आखिर में हम इस बहस में नहीं पड़ेंगे की अपराधियों को यहां ‘कीटाणु’ की संज्ञा क्यों दी गई है या फिर हम ‘एनकाउंटर’ के मामले पर भी कोई चर्चा नहीं करेंगे, न ही इसकी सार्थकता पर किसी बहस में शामिल होंगे। हम बस वर्ष 2023 की आखिर में ‘अपराध और अपराधी’ इन दोनों पर एक सरसरी नजर डालेंगे और इस इस साल के 5 चर्चित ‘एनकाउंटर्स’ पर कुछ बात करेंगे।
साल 2023 में राष्ट्र के 5 चर्चित ‘एनकाउंटर्स’
आतंक का पर्याय मनोज भाटी एनकाउंटर
उत्तरप्रदेश के नगला नैनसुख गांव का मनोज भाटी दो दशक से अधिक समय से गंभीर क्राइम कर रहा था। इस घातक क्रिमिनल और आरोपी के विरुद्ध साल 2002 में सबसे पहले जारचा पुलिस स्टेशन में मर्डर के कोशिश का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद जारचा पुलिस ने मनोज को गैरकानूनी हथियार के साथ अरैस्ट कर कारावास भेजा था। इतना ही नहीं इस क्रिमिनल ने हापुड़ न्यायालय में न्यायालय में 16 अगस्त को हरियाणा से पेशी पर आए हिस्ट्रीशीटर लखन की अंधाधुन्ध गोली बरसाकर मर्डर कर दी थी। जिसका हापुड़ पुलिस ने इसी वर्ष 29 जनवरी को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। मनोज पर एक लाख रुपये का पुरस्कार भी था।
उमेश पाल को पहली गोली मारने वाला विजय उर्फ उस्मान का एनकाउंटर
उत्तरप्रदेश के उमेश पाल हत्याकांड और उस पर सबसे पहले गोली चलाने वाला विजय कुमार उर्फ उस्मान चौधरी को यूपी पुलिस ने इसी वर्ष 6 मार्च को एक मुठभेड़ में मार गिराया था। विजय चौधरी को अतीक अहमद के गैंग में उस्मान के नाम से भी जाना जाता था। उमेश पाल के शूटआउट के वीडियो में विजय चौधरी उर्फ उस्मान के दिखने के बाद, पुलिस ने उमेश पाल के शूटरों पर पुरस्कार की धनराशि भी बढ़ा कर 2.5 लाख कर दी थी। इसमें से अकेले उस्मान पर 50 हजार रुपये का पुरस्कार था।
माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद का एनकाउंटर
इस वर्ष 13 अप्रैल 2023 को उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी और उत्तरप्रदेश के नामी माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद (Asad Ahmed) को उत्तरप्रदेश की STF ने झांसी में एक एनकाउंटर के दौरान ढेर किया था । इस मुठभेड़ में असद के साथ उसका साथी गुलाम (Ghulam) भी में मारा गया था। दोनों प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में वांछित क्रिमिनल भी थे और दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का पुरस्कार था। इस दौरान पुलिस ने दोनों के पास से अत्याधुनिक विदेशी हथियार बरामद किए थे।
जानकारी दें कि प्रयागराज में 24 फरवरी को दिनदहाड़े राजूपाल हत्याकांड में गवाह उमेश पाल की मर्डर कर दी गई थी। उमेश पाल जब अपने घर जा रहे थे, तब गली के बाहर कार से निकलते समय ही उन पर अचानक शूटरों ने फायरिंग कर दी थी। इस दौरान उनकी कार पर बम भी फेंके गए थे। इस हमले में उमेश पाल और उनके दो गनर्स की भयावह मृत्यु हो गई थी।
अतीक के ख़ास दोस्त गुलाम मोहम्मद का एनकाउंटर
उमेश पाल हत्याकांड में शामिल असद अहमद और गुलाम मोहम्मद को जहां उत्तरप्रदेश की STF ने एक साथ ही मुठभेड़ में मार गिराया था। लेकिन गुलाम की अपनी भी एक पहचान थी। असद जहां अतीक अहमद का बेटा था तो वहीं गुलाम मोहम्मद भी उसका बहुत करीबी शूटर था। हालाँकि गुलाम पहले ठेकेदार था और बाद में वो शूटर बन गया था। वो प्रयागराज के महंदौड़ी क्षेत्र में रहता था। गुलाम क्षेत्रीय भाजपा नेता राहिल हसन का सगा भाई भी था।
गुलाम का नाम पहली बार नगर निगम ठेकेदार चंदन सिंह की मर्डर में सामने आया था। चंदन सिंह की मर्डर वर्ष 2013 में हुई थी। बस इसके बाद ही वो अतीक अहमद के संपर्क में आया। इसी अतीक की धमकियों के चलते चंदन सिंह के परिजनों ने मर्डर का केस वापस ले लिया और 2018 में गुलाम इस मुद्दे में बरी हुआ। गुलाम ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। गुलाम ने 2015 में विवाह की थी। उसकी दो बेटियां हैं। गुलाम के ऊपर 8 गंभीर आपराधिक मुद्दे दर्ज थे।
कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना का एनकाउंटर
इसी वर्ष 4 मई 2023 को गैंगस्टर अनिल दुजाना को मुठभेड़ में मार गिराया था। वह ग्रेटर नोएडा के दुजाना गांव का रहने वाला था। यह वही गांव है जिसके एक डकैत ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को धमकी दी थी। उस पर मर्डर, रंगदारी लूटपाट सहित करीब 62 मुकदमे दर्ज थे। 18 तो केवल हत्या के ही थे। इसके अतिरिक्त रंगदारी, लूटपाट, जमीन पर कब्जा, कब्जा छुड़वाना और आर्म्स एक्ट के मुद्दे भी थे। उस पर रासुका और गैंगस्टर एक्ट भी लग चुका था। गैंगस्टर सुंदर भाटी पर वह एके-47 से हमले का आरोपी था।
‘एनकाउंटर’ और कानून
अब इन ‘एनकाउंटर’ की सच्चाई चाहे जो भी हो लेकिन वर्ष 2023 यह शब्द एक बार फिर सुर्खियों में आया है। ऐसे में लोगों के बीच चर्चा होने लगी कि क्या मुठभेड़ भारतीय क़ानून में वैध हैं? हालाँकि भारतीय क़ानून में वैसे कहीं भी मुठभेड़ को वैध ठहराने का प्रावधान नहीं है। लेकिन इतना जरुर है कि कुछ ऐसे नियम-क़ानून अवश्य हैं जो राष्ट्र की पुलिस को यह ताक़त देते हैं कि वो अपराधियों पर धावा कर सकती है और उस दौरान अपराधियों की मृत्यु को ठीक भी ठहराया जा सकता है।