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सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को देश के नए निर्वाचन आयुक्त किया गया नामित

नई दिल्ली: जहां एक तरफ बीते गुरूवार को पूर्व नौकरशाह सुखबीर सिंह संधू (Sukhbir Singh Sandhu)  और ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) राष्ट्र के नए निर्वाचन आयुक्त (Election Commissioner) नामित किया गया है दरअसल निर्वाचन आयोग में निर्वाचन आयुक्तों की दो रिक्तियों को भरने के लिए बीते गुरूवार को पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में दोनों पूर्व नौकरशाहों के नाम को आखिरी रूप दिया गया है ऐसे में आज यानी शुक्रवार  को ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू चुनाव आयुक्त का पदभार संभालेंगे

जानकारी दें कि, जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को जब खारिज किया गया था तब कुमार गृह मंत्रालय में पदस्थापित थे संधू उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव हैं  भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1988 बैच के अधिकारी कुमार और संधू क्रमश: केरल और उत्तराखंड कैडर से हैं

कुमार को 2014 में दिल्ली में केरल के रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में तैनाती के दौरान राज्य गवर्नमेंट द्वारा युद्धग्रस्त इराक के इरबिल में फंसी 46 नर्सों को निकालने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था इराक से 183 हिंदुस्तानियों को निकालने के साथ ऑपरेशन सफल रहा था, जिनमें से 70 केरल निवासी थे

IIT कानपुर से स्नातक कुमार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव संधू ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के विचार की देखरेख की थी वह अमृतसर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस हैं और इतिहास में मास्टर डिग्री भी हासिल कर चुके हैं

गौरतलब है कि, अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने और लोकसभा चुनाव से पहले अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग में रिक्तियां आई थीं गोयल के इस्तीफे की अधिसूचना गत शनिवार को जारी की गई थी चयन समिति की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू निर्वाचन आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति की है एक बार नियुक्तियां अधिसूचित हो जाने के बाद नए कानून के अनुसार की जाने वाली ये पहली नियुक्तियां हैं

कानून तीन-सदस्यीय चयन समिति को ऐसे आदमी को नियुक्त करने की शक्ति भी देता है, जिसे चयन समिति ने ‘शॉर्टलिस्ट’ नहीं किया है मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर नया कानून हाल में लागू होने से पहले, निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति गवर्नमेंट की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी और परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता था

 

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