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इसरो ने देश का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च करने की तैयारी में…

शन‍िवार को एक और जहां ए‍श‍िया कप में हिंदुस्तान और पाक‍िस्‍तान की टीम क्रिकेट के मैदान में आमने-सामने होंगी वहीं चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) राष्ट्र का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च करने की तैयारी में है आदित्य-एल1 स्‍पेस क्राफ्ट सौर कोविड-19 के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज ब‍िंदु) पर सौर हवा के सीटू अवलोकन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है यह हिंदुस्तान की पहली सौर अंतरिक्ष वेधशाला है और इसे PSLV-C57 द्वारा लॉन्च किया जाएगा यह सूर्य का विस्तृत शोध करने के लिए सात भिन्न-भिन्न पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे

आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च की तारीख और समय: हिंदुस्तान और पाक‍िस्‍तान का मैच द‍िन में तीन बजे से होगा वहीं सौर मिशन 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह से उड़ान भरने के लिए निर्धारित है 30 अगस्त को इसरो ने कहा क‍ि सूर्य का शोध करने के लिए डिजाइन किए गए उसके आदित्य-एल1 मिशन ने लॉन्च रिहर्सल और आंतरिक जांच पूरी कर ली है

इसरो के आदित्य-एल1 मिशन को लाइव कहां देखें: हिंदुस्तान और पाक‍िस्‍तान का मैच आप सभी लोग ड‍िजनी हॉटस्‍टार पर फ्री में लाइव देख सकते हैं वहीं आदित्य L1 के लॉन्‍च का सीधा प्रसारण दूरदर्शन चैनल या इसरो के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है इसरो ने 1 सितंबर को आदित्य-एल1 मिशन के लाइव टेलीकास्ट का लिंक भी शेयर किया है आदित्य L1 का लॉन्च शन‍िवार सुबह 11:50 बजे (IST) तय किया गया है

आदित्य एल1 मिशन के प्रमुख उद्देश्य: आदित्य-एल1 को लैग्रेंज प्‍वाइंट 1 (या एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है आद‍ित्‍य एल1 चार महीने के समय में यह दूरी तय कर सकता है

म‍िशन मून के दौरान रणनीतिक जगह से आदित्य-एल1 ग्रहण या क‍िसी अन्‍य घटना से बाधित हुए बिना लगातार सूर्य का निरीक्षण करने में सक्षम है, जिससे वैज्ञानिकों को असली समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके असर का शोध करने की अनुमति मिलेगी साथ ही अंतरिक्ष यान का डेटा उन प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान करने में सहायता करेगा जो सौर विस्फोट की घटनाओं को जन्म देती हैं और स्‍पेस वेदर ड्राइवर्स की गहरी समझ में सहयोग देगी

भारत के सौर मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में सौर कोविड-19 और उसके ताप तंत्र की भौतिकी, सौर वायु त्वरण, सौर वायुमंडल की युग्मन और गतिशीलता, सौर वायु वितरण और तापमान अनिसोट्रॉपी और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) की उत्पत्ति का शोध के अतिरिक्त ज्वाला और निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम शामिल है

इससे पहले 31 अगस्त को इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भी एक अपडेट साझा किया था, जिसमें बोला गया था कि हम अभी लॉन्च के लिए तैयार हो रहे हैं रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं हमने लॉन्च के लिए रिहर्सल पूरी कर ली है इसलिए कल हमें इसके लिए उल्टी गिनती प्रारम्भ करनी होगी और परसों प्रक्षेपण होगा

चंद्रयान 3 मिशन के बारे में बोलते हुए इसरो प्रमुख ने बोला था क‍ि जहां रोवर प्रज्ञान वर्तमान में चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है इसरो प्रमुख ने बोला क‍ि सब कुछ ठीक काम कर रहा है और सभी डेटा बहुत अच्छी तरह से आ रहे हैं सब कुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है और हमें आशा है कि 14 (पृथ्वी) दिन के अंत तक हमारा मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा

‘लैग्रेंज बिंदु’ अंतरिक्ष में स्थित वे जगह हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं नासा के अनुसार, इनका इस्तेमाल अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए जरूरी ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है लैग्रेंज बिंदु का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया पर किये गए एक पोस्ट में कहा कि सूर्य का शोध करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा

आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के पास की कक्षा से सूर्य का शोध करना है यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो भिन्न-भिन्न वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में सहायता करेंगे बेंगलुरु स्थित भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) पेलोड के विकास के लिए अग्रणी संस्थान है, जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) पेलोड इस मिशन के लिए विकसित किया है

इसरो के अनुसार, वीईएलसी का लक्ष्य यह पता लगाने के लिए डेटा एकत्रित करना है कि कोविड-19 का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का इस्तेमाल करके कोविड-19 और सौर क्रोमोस्फीयर पर और एक्स-रे पेलोड का इस्तेमाल करके लपटों का अवलोकन कर सकता है कण संसूचक और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों और एल1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं यहां स्थित यू आर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा विकसित उपग्रह, इस महीने की आरंभ में आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के इसरो के स्पेसपोर्ट पहुंचा इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है

 

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