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नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने की बढ़ी काफी उम्मीदें

नई दिल्ली: बीजेपी (भाजपा) आनें वाले लोकसभा चुनावों में जीत की अपनी संभावनाओं को लेकर मजबूत आत्मविश्वास प्रदर्शित कर रही है, साथ ही नरेंद्र मोदी के पीएम के रूप में लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने की उम्मीदें काफी अधिक हैं. यह भावना उन सरकारी ऑफिसरों के बीच प्रतिध्वनित होती है जो नयी गवर्नमेंट के गठन के लिए एक्टिव रूप से रणनीति बना रहे हैं.

प्रस्तावित योजनाओं में मंत्रालयों की संख्या में संभावित कमी शामिल है, जो वर्तमान में 54 है. इसके अतिरिक्त, अगले छह सालों के भीतर विदेशों में भारतीय मिशनों की संख्या को 20% तक बढ़ाने की योजना है. बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अधिक निजी निवेश आकर्षित करने और अहमियत वाले उद्यमों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. कैबिनेट सचिव द्वारा बुलाई गई बैठकों में चर्चा के लिए निर्धारित एक मसौदा पत्र में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें 2030 तक पेंशन फायदा प्राप्त करने वाले वरिष्ठ नागरिकों का फीसदी 22% से दोगुना करके 50% करना और स्त्रियों की भागीदारी को 37% से बढ़ाकर 50% करना शामिल है. गवर्नमेंट का लक्ष्य ई-वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देना है, जिसका लक्ष्य उनकी बाजार हिस्सेदारी 7% से बढ़ाकर 30% से अधिक करना है.

अदालतों में लंबित मामलों के मामले को हल करने के कोशिश भी चल रहे हैं, जिसमें 2030 तक संख्या को 5 करोड़ से घटाकर 1 करोड़ से कम करने का लक्ष्य है, साथ ही अगले छह सालों में न्यायिक रिक्तियों को 22% से घटाकर 10% करने की योजना है. रक्षा व्यय को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.4% से बढ़ाकर 3% करने के बारे में चर्चा हो रही है, जिसमें रक्षा अनुसंधान के लिए अधिक धन आवंटित करने पर विशेष बल दिया जा रहा है. इसका उद्देश्य रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर हथियारों के आयात पर हिंदुस्तान की निर्भरता को कम करना है.

हालाँकि इनमें से कई प्रस्तावों पर पहले ही विचार किया जा चुका है, लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले प्रधान मंत्री मोदी के साथ परामर्श के बाद नए सिरे से चर्चा प्रारम्भ हो गई है. चीन, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे राष्ट्रों की सुव्यवस्थित सरकारी संरचनाओं की तुलना करते हुए, परिवहन क्षेत्र के भीतर मंत्रालयों के विलय की आसार जताई गई है. यह ध्यान देने योग्य है कि जहां नौकरशाह इन योजनाओं को तैयार करने में एक्टिव रूप से शामिल हैं, वहीं गवर्नमेंट की आखिरी संरचना निर्धारित करने में सांसदों और गठबंधन सहयोगियों को समायोजित करने की जरूरत को देखते हुए आखिरी फैसला सियासी होंगे.

 

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