स्वास्थ्य

यह योग शरीर को मजबूत और खिंचाव देने में है बेहतरीन आसन

Setu Bandhasana: योग हिंदुस्तान के महान और प्राचीन विद्वानों द्वारा खोजी गई विधा है, जो प्राकृतिक ढंग से आदमी को स्वस्थ बनाने पर केंद्रित होती है. योग में कई मुद्राओं और आसनों का अभ्यास किया जाता है, जो शरीर को स्वस्थ और सक्षम बनाता है.

कई योग मुद्राओं और आसनों में से एक सेतुबंधासन है, जो किसी नदी या दुर्गम जगह को पार करने हेतु बनाए गए पुल से प्रेरणा लेकर रची गई मुद्रा है. इस आसन में शरीर की मुद्रा सेतु या पुल के समान होती है. सेतुबंधासन योग शरीर को मजबूत और खिंचाव देने में बेहतरीन आसनों में से एक है.

सेतुबंधासन के अभ्यास के फायदे

सेतुबंधासन योग शारीरिक निष्क्रियता की परेशानी को दूर करता है और मांसपेशियों और हड्डियों को स्वस्थ रखने और रक्त का संचार बढ़ाने में काफी कारगर अभ्यास माना जाता है. इस योग का नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की स्वास्थ्य को ठीक रखने में विशेष लाभप्रद हो सकता है. सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के शिकार लोगों को दिनचर्या में इस योग को जरूर शामिल करना चाहिए.

  • तनाव और अवसाद के लक्षणों को कम करता है.
  • पेट, फेफड़े और थायराइड के अंगों को उत्तेजित करके इससे संबंधित रोंगों के जोखिम को कम करता है.

  • पैरों में रक्त के संचार को बढ़ाकर मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने में विशेष लाभदायक है.
  • पाचन में सुधार करने वाला योगाभ्यास.
  • पीठ, ग्लूट्स, टांगों और टखनों को मजबूत बनाता है.
  • सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण जिन लोगों को अक्सर कमर, पीठ में दर्द रहती है, उनके लिए इस योग का अभ्यास विशेष लाभ वाला हो सकता है.

सेतुबंधासन का अभ्यास कैसे करें

स्टेप 1- सेतुबंधासन योग करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को बगल में रखें.

स्टेप 2- अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं.

स्टेप 3- हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं.

स्टेप 4- कुछ देर के लिए इस स्थिति में सांस को रोककर रखें और फिर सांस छोड़ते हुए वापस पूर्ववत हालत में आ जाएं.


सेतुबंधासन के अभ्यास के दौरान सावधानियां

  • वैसे तो सेतुबंधासन योग, सभी लोगों के लिए काफी सुरक्षित अभ्यास में से एक है. इससे किसी तरह का हानि नहीं होता है, हालांकि आपको हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श के बाद भी किसी अभ्यास या व्यायाम की आरंभ करनी चाहिए.
  • शिक्षित योग शिक्षक की नज़र में इस अभ्यास को करना अधिक बेहतर माना जाता है.
  • जिन लोगों को गर्दन में या हाथ में चोट लगी हो उन्हें इसके अभ्यास से बचना चाहिए.
  • हाल ही में यदि आपकी सर्जरी या कोई फ्रेक्चर हुआ है तो भी चिकित्सक की राय के बाद ही यह अभ्यास करें.

 


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