स्वास्थ्य

फैटी लीवर के अधिक जोखिम में कौन हैं, जानें शुरुआत में कैसे पहचानें…

फैटी लीवर बीमारी विश्व स्तर पर एक जरूरी स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरा है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं. समय पर हस्तक्षेप और रोकथाम के लिए जोखिम कारकों और शुरुआती संकेतों को समझना जरूरी है.

फैटी लीवर बीमारी क्या है?

फैटी लीवर रोग, जिसे हेपेटिक स्टीटोसिस भी बोला जाता है, लीवर कोशिकाओं में वसा के संचय की खासियत है. यह स्थिति सौम्य फैटी लीवर से लेकर गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच) और सिरोसिस जैसे अधिक गंभीर रूपों तक हो सकती है, जो संभावित रूप से लीवर की विफलता का कारण बन सकती है.

अधिक जोखिम में कौन है?

1. मोटापा: एक प्रमुख जोखिम कारक

मोटापा फैटी लीवर बीमारी के लिए प्राथमिक जोखिम कारकों में से एक है. शरीर का अतिरिक्त वजन, विशेष रूप से पेट के आसपास की आंत की चर्बी, लीवर में वसा जमा होने की आसार को बढ़ा देती है.

2. अस्वास्थ्यकर आहार की आदतें

परिष्कृत शर्करा, संतृप्त वसा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार का सेवन फैटी लीवर के विकास में जरूरी सहयोग देता है. मीठे पेय पदार्थों और फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन जोखिम को बढ़ा सकता है.

3. गतिहीन जीवन शैली

शारीरिक गतिविधि की कमी न सिर्फ़ मोटापे को बढ़ावा देती है बल्कि शरीर की वसा को कुशलतापूर्वक चयापचय करने की क्षमता को भी बाधित करती है. गतिहीन व्यवहार फैटी लीवर बीमारी के खतरे को बढ़ा देता है.

4. इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह

इंसुलिन प्रतिरोध, जो अक्सर टाइप 2 मधुमेह से जुड़ा होता है, फैटी लीवर बीमारी के रोगजनन में जरूरी किरदार निभाता है. इंसुलिन की कार्यप्रणाली ख़राब होने से लीवर में वसा का संचय बढ़ जाता है.

5. आनुवंशिकी और पारिवारिक इतिहास

आनुवंशिक प्रवृत्ति किसी आदमी की फैटी लीवर बीमारी के प्रति संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकती है. जिन लोगों के परिवार में इस स्थिति का इतिहास है, उनमें स्वयं इसके विकसित होने की आसार अधिक हो सकती है.

6. शराब का सेवन

जबकि गैर-अल्कोहलिक फैटी लीवर बीमारी (एनएएफएलडी) अधिक आम है, अत्यधिक शराब के सेवन से अल्कोहलिक फैटी लीवर बीमारी (एएफएलडी) भी हो सकता है, जो लीवर के स्वास्थ्य के लिए एक जरूरी खतरा पैदा करता है.

शुरुआती लक्षणों की पहचान

1. थकान और कमजोरी

लगातार थकान और कमजोरी, विशेष रूप से बिना किसी साफ कारण के, फैटी लीवर बीमारी सहित लीवर की शिथिलता का संकेत दे सकती है.

2. पेट की परेशानी

पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में बेचैनी या दर्द, जहां लिवर स्थित है, फैटी जमाव के कारण लिवर में सूजन या वृद्धि का संकेत दे सकता है.

3. ऊंचा लिवर एंजाइम

नियमित रक्त परीक्षण से एलेनिन ट्रांसएमिनेज़ (एएलटी) और एस्पार्टेट ट्रांसएमिनेज़ (एएसटी) जैसे लिवर एंजाइमों के ऊंचे स्तर का पता चल सकता है, जो लिवर की सूजन या क्षति का संकेत देता है.

4. अस्पष्टीकृत वजन घटना या बढ़ना

अनजाने में वजन कम होना या अचानक वजन बढ़ना, विशेष रूप से पेट के आसपास, फैटी लीवर बीमारी से जुड़ा हो सकता है और आगे की जांच की जानी चाहिए.

5. इंसुलिन प्रतिरोध और मेटाबोलिक सिंड्रोम

मोटापा, उच्च रक्तचाप, असामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर और बिगड़ा हुआ ग्लूकोज चयापचय के संयोजन से इंसुलिन प्रतिरोध या चयापचय सिंड्रोम वाले व्यक्तियों में फैटी लीवर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

6. इमेजिंग अध्ययन

अल्ट्रासाउंड, कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी), या मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन लिवर में वसा संचय की कल्पना कर सकते हैं, जिससे फैटी लिवर बीमारी के निदान में सहायता मिलती है.

सक्रिय तरीका करना

फैटी लीवर बीमारी के जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करना और शुरुआती लक्षणों को पहचानना इसे और अधिक गंभीर स्थितियों में बढ़ने से रोकने में जरूरी कदम हैं. नियमित व्यायाम और संतुलित आहार सहित स्वस्थ जीवन शैली अपनाना, फैटी लीवर बीमारी के जोखिम को कम करने और समग्र लीवर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सर्वोपरि है.

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