स्वास्थ्य

इस उम्र से शुरू करें सर्वाइकल कैंसर की जांच

सर्वाइकल कैंसर पूरे विश्व में स्त्रियों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है ग्लोबोकॉन 2020 के अनुसार, हिंदुस्तान में यह स्त्रियों में होने वाला तीसरा सबसे आम कैंसर है हर वर्ष लगभग 6,04,000 मुद्दे सामने आते हैं और 3,42,000 स्त्रियों की दुखद मौत हो जाती है

हालांकि, अच्छी समाचार यह है कि सर्वाइकल कैंसर एक धीमी गति से फैलने वाला कैंसर है इसका मतलब है कि नियमित जांच के जरिए शुरुआती दौर में ही इसका पता लगाया जा सकता है, जिससे उपचार भी सरल हो जाता है डब्ल्यूएचओ (WHO) का लक्ष्य है कि 2030 तक हर एक लाख स्त्रियों में नए मामलों की संख्या 4 या उससे कम हो जाए इसके लिए वैक्सीनेशन, जांच और तुरंत उपचार पर ध्यान दिया जा रहा है

मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार और हिस्टोपैथोलॉजी के प्रमुख डाक्टर वाणी रविकुमार ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सर्वाइकल कैंसर की जांच के उपायों में काफी प्रगति हुई है पैप स्मीयर टेस्ट अभी भी जांच का प्राइमरी तरीका है, लेकिन एचपीवी (HPV) टेस्टिंग से और भी शीघ्र पता लगाने में सहायता मिलती है एलबीसी (LBC) टेस्ट और एलबीसी + एचबीवी (HBV) कोटेस्टिंग की आरंभ से असामान्यताओं का पता लगाने और अस्पष्ट मामलों को कम करने में सहायता मिली है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग को शामिल करने से जांच की प्रक्रिया और सटीकता में और सुधार होगा

डॉ वाणी ने कहा कि उम्र के हिसाब से जांच के लिए भिन्न-भिन्न ढंग अपनाए जाते हैं 21-25 उम्र वर्ग की स्त्रियों के लिए हर पांच वर्ष में प्राइमरी एचपीवी टेस्ट की राय दी जाती है 30-65 उम्र वर्ग की महिलाएं हर तीन वर्ष में पैप स्मीयर टेस्ट, हर पांच वर्ष में हाई-रिस्क एचपीवी टेस्ट या दोनों का एक साथ संयोजन हर पांच वर्ष में करवा सकती हैं एचपीवी से जुड़े सर्वाइकल कैंसर की औसत उम्र लगभग 51 साल है, इसलिए टारगेट जांच की बहुत आवश्यकता है

25 से 30 वर्ष के उम्र वर्ग में जांच प्रारम्भ करने से हेल्थ केयर प्रोवाइडर संभावित असामान्यताओं का शीघ्र पता लगा सकते हैं इससे हेल्थ केयर सिस्टम में संसाधन आवंटन को ध्यान में रखते हुए स्क्रीनिंग कार्यक्रमों के असर को अनुकूलित करने में सहायता मिलती है

 

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