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1991 की अवधि में एक भयंकर घोटाला आया था सामने, इस घोटाले के पीछे थे हर्षद मेहता, जानें इनकी रोचक कहानी

पीएम पीवी नरसिंह राव की गवर्नमेंट में, भारतीय वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में एक आर्थिक सुधार की आरंभ की थी, जिसके दौरान राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में कई जरूरी परिवर्तन हुए इस अवधि में, एक विशाल भ्रष्टाचार सामने आया जिसने शेयरों की खरीद-बिक्री प्रक्रिया में जरूरी बदलाव किए

4000 करोड़ रुपए का घोटाला

इस घोटाले के पीछे स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता थे, और इसने करीब 4000 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया था, जिसे आज के मानकर लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का मान सकते हैं इसके परंपरागत बाद, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इण्डिया (SEBI) को शेयर बाजार में गड़बड़ी रोकने के लिए स्थापित किया गया

हर्षद मेहता का निधन

हर्षद मेहता, जो मुख्य आरोपी थे, का मृत्यु 2002 में हो गया, लेकिन 1992 में उनके मृत्यु के पहले, शेयर बाजार घोटाले की यादें लोगों के दिल में बनी रहीं

हर्षद मेहता शुरुआती जीवन

हर्षद मेहता का जन्म गुजरात के राजकोट के पनीर मोटी में 29 जुलाई 1954 को हुआ था, और उनका बचपन मुंबई के कांदिवली में बीता उन्होंने लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की और फिर 1984 में अपनी ब्रोकरेज कंपनी ग्रो मोर रिसर्च मैनेजमेंट की स्थापना की

‘बिग बुल’

हर्षद मेहता ने शेयर बाजार में अपनी और अपनी ग्रोथ के लिए ‘बिग बुल’ कहलवाया था और वर्ष 1990 में शेयर बाजार में तेजी लाने के लिए प्रसिद्ध हो गए थे हर्षद को फॉलो करने वाले उन्हे BSE का बच्चन कहते थे

बैंकों का कुछ यूं हुआ इस्तेमाल

उन्होंने बैंकों से उधार लेकर शेयर बाजार में पैसा लगाया और फिर फायदा कमाकर उधार लिए गए पैसे को वापस किया इस प्रकार के वित्तीय क्रियाकलापों के बाद, जब इस बारे में जानकारी सार्वजनिक हुई, शेयर बाजार में गिरावट आई और सुरक्षा और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इण्डिया की स्थापना हुई जिससे इस तरह के घोटालों को रोका जा सकता है

ACC के शेयर की कहानी

एसीसी जो एक सिमेन्ट बनाने वाली कंपनी थी का एक शेयर 200 रुपये के रेट में था, तीन महीने में ही उसकी मूल्य नौ हजार के करीब पहुंच गई दूसरे निवेशक हर्षद की राय पर कंपनियों में पैसा डालने लगे कुछ ही वर्षों में ब्रोकर हर्षद की इमेज बिजनेस टाइकून में बदल गई और वह करोड़ों कमाने लगा इन सबके बीच एक प्रश्न था कि आखिर वह इतने कम समय में इतना पैसा कैसे कमा रहा था वर्ष 1992 आया और नामी पत्रकार सुचेता दलाल ने हर्षद मेहता के कारोबार के बारे में भंडाफोड़ कर दिया

रिपोर्टर सुचेता दलाल

हर्षद मेहता का स्कैम खुलासा करने वाली रिपोर्टर सुचेता के मुताबिक, हर्षद पहले बैंक रसीद (बीआर) बनवाता और बैंक से पैसा उठाकर शेयर बाजार में डाल देता जब उसे दूसरे शेयर से फायदा होता तो बैंकों को पैसा लौटा देता था इसके अतिरिक्त उसने कई सारी तकनीकी खामियों का लाभ उठाकर बैंकों की जमा पूंजी शेयर बाजार में लगा दी, इस पूरी प्रक्रिया में कुछ बैंक कर्मचारियों की भी मिलीभगत थी जब खुलासा हुआ तो सभी बैंकों ने हर्षद से पैसा वापस मांग लिया और शेयर बाजार बुरी तरह टूट गया

प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ की घूस देने का आरोप

इस मुद्दे में मोड़ तब आया जब वर्ष 1993 में उसने पीएम पी वी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ की घूस देने का इल्जाम लगाया हालांकि, इस पूरे मसले को गवर्नमेंट और बाद में CBI जांच ने भी सिरे से नकार दिया इसके बाद उसे एक मुकदमा में उच्चतम न्यायालय ने 5 वर्ष की सजा सुनाई और 25 हजार का जुर्माना लगाया थाणे कारावास में बंद हर्षद मेहता को 31 दिसंबर, 2001 को अचानक सीने में दर्द उठा और जब उसे सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया तो वहां उसकी मृत्यु हो गई

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