बिहार

बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच इन तीन मुद्दों पर तकरार

Lok Sabha Election and Bihar Politics: बिहार में महागठबंधन में सीट बंटवारे का पेच राजद और कांग्रेस पार्टी के बीच फंस गया है और इसी वजह से सीट शेयरिंग का घोषणा नहीं हो सका है. कांग्रेस पार्टी नेताओं ने राजद के उस कदम पर आपत्ति जताया है, जिसमें लालू यादव की पार्टी ने सहयोगी दलों से बिना विचार-विमर्श किए पहले चरण के लिए चार लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का घोषणा कर दिया है. राजद ने औरंगाबाद से अभय कुशवाहा, गया सुरक्षित सीट से सर्वजीत कुमार, नवादा से श्रवण कुशवाहा और जमुई से अर्चना रविदास को टिकट दिया है.

राजद के कदम का विरोध
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने राजद के इस कदम पर नाखुशी जताई है और इसे गठबंधन धर्म के विरुद्ध कहा है. पूर्व गवर्नर और औरंगाबाद से महगठबंधन प्रत्याशी के दावेदार कहे जा रहे निखिल कुमार ने बोला है कि राजद ने जिसे उम्मीदवार बनाया है, उसमें जीतने की क्षमता नहीं है. 82 वर्षीय कुमार ने राजद उम्मीदवार को बाहरी भी कहा है. इससे पहले चर्चा थी कि इस सीट से या तो कांग्रेस पार्टी के निखिल कुमार या फिर राजद से उपेंद्र प्रसाद को टिकट मिलेगा, जो 2019 में दूसरे जगह पर रहे थे. तब उपेंद्र प्रसाद ने हम उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था.

पप्पू पर रार, राजद को ऐतराज
राजद और कांग्रेस पार्टी में पप्पू यादव को लेकर भी कहासुनी चल रहा है. पिछले दिनों पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया था. उन्होंने अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस पार्टी में कर लिया. इस पर राजद ने नाराजगी जताई है. उनकी लालू परिवार से खट्ट-मीट्ठे संबंध रहे हैं. राजद सूत्र बता रहे हैं कि पूर्णिया या मधेपुरा सीट पप्पू यादव के लिए राजद नहीं छोड़ेगी. पप्पू यादव दो बार (2004 उप चुनाव और 2014) मधेपुरा से राजद के सांसद रह चुके हैं. यादव पूर्णिया से भी तीन बार (1991 निर्दलीय, 1996 सपा,1999 फिर निर्दलीय) चुनाव जीत चुके हैं. 2004 और 2009 में वहां बीजेपी के टिकट पर उदय सिंह ने जीत दर्ज की थी जो अब कांग्रेस पार्टी में हैं और 2019 में वहां से चुनाव लड़ चुके हैं.

पप्पू यादव कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन के पति हैं और बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्र में खासा असर रखते हैं. राजद में उत्तराधिकार के प्रश्न पर लगातार लालू प्रसाद पर निशाना साधने के बाद उन्हें 2015 में राजद से निष्कासित कर दिया गया था. तब उन्होंने विधान सभा चुनावों से ठीक पहले जन अधिकार पार्टी का गठन किया था लेकिन उनकी पार्टी पिछले दो विधानसभा चुनावों में कुछ खास नहीं कर सकी. कुछ दिनों पहले तक ऐसी चर्चा थी कि पप्पू फिर से राजद में शामिल होंगे लेकिन लालू परिवार के इनकार के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी की ओर रुख किया.

कन्हैया को पहले से ही रेड कार्ड
राजद पहले से कांग्रेस पार्टी के युवा नेता कन्हैया कुमार को रेड कार्ड दिखा चुकी है. राजद ने बेगूसराय सीट सीपीआई को आवंटित कर दी है. राजद के इस निर्णय से भी राजद-कांग्रेस के बीच रिश्तों में खटास आ गई है. सूत्रों के मुताबिक, सीपीआई महासचिव डी राजा ने लालू प्रसाद और नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात कर बेगूसराय सीट की मांग की थी. इसके बाद राजद ने इस सीट को सीपीआई को आवंटित कर दिया है. सीपीआई ने अवधेश राय को वहां से उम्मीदावार बनाया है.

सीट बंटवारे पर भी पेच
राजद और कांग्रेस पार्टी के बीच सीट बंटवारे के मामले पर भी पेच फंसा हुआ है. राजद सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव कांग्रेस पार्टी को पांच से छह सीट देने को इच्छुक हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी 2019 के फॉर्मूले के अनुसार कम से कम नौ सीटों पर अड़ी हुई है. 2019 के लोकसभा चुनाव मे राजद ने 19, कांग्रेस पार्टी ने 9, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 5, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने 3, मुकेश सहनी की वीआईपी ने 3 और CPIML ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था.

राज्य की कुल 40 सीटों में से एकमात्र किशनगंज सीट पर कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद जावेद ने जीत दर्ज की थी. बाकी 39 सीटों पर एनडीए ने कब्जा किया था. कांग्रेस पार्टी ने किशनगंज के अतिरिक्त वाल्मीकि नगर, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, समस्तीपुर,पटना साहिब, मुंगेर और सासाराम से चुनाव लड़ा था.

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