राजस्थान के इस जिले की जूतियां वर्ल्ड में हैं फेमस
राजस्थान के सामानों का पूरी दूनिया में चर्चा है। उसके साथ ही यहां के हस्थकलाकारों की भी चर्चा भी पूरी विश्व में है। आपको बता दें कि यहां के हस्तकलाओं की चर्चा सभी करते हैं। राजस्थान के जालौर की हस्तनिर्मित जूतियां भी बहोत फेमस है। इन जूतियों के लिए लोग-लोग दूर-दूर से आते है।आपको बता दें की मारवाड़ में जूती को पैरों की शान मानते हैं। इनकी जूतियों पर किया गया काम के कसीदा काफी फेमस माना जाता है। आज की शादियों में जूती के बीना कई रसमें अधूरी होती हैं।
जुतियों का वजन
जालौर के साथ-साथ जोधपुर, फलोदी, बाड़मेर, जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर जिलों में जूतियां का काम किया जाता है।लेकिन जालौर की जुतियों की बात ही कुछ अलग है। यह जुतियां वजन में मामूली होती हैं। और इन जुतियों पर किया गया कसीदाकारी काफी आकर्षित होती है।
मोजड़ी बोला जाता है
यहां के कारीगकरों का बोलना है कि जालौर की क्षेत्रीय भाषा में जूती को मोजड़ी बोला जाता है, इसको यहां में उपस्थित जीनगर समाज के लोग बनाते हैं। इसको तैयाक करने की तरीका है कि सबसे पहले भीनमाल में जुतियों का चमड़ा तैयार होता है लेकिन जानकारी के अनुसार यहां के कारीगर बाहर से चमड़ा मंगवातें हैं।
जुतियों के प्रकार
व्यापारियों का बोलना है कि जालौर जिले में सबसे अधिक जूतियां भीनमाल और बड़गांव में बनाई जाती है।महारानी जोधा जनानी जूती, नवरंग कशीदाकारी सिलाई जूती, मारवाड़ी कशीदाकारी सिलाई जूती, कच्छी जनानी जरीन जूती,महाराजा भर्तृहरि कशीदा सिलाई मोजड़ी, मृग उज्जैनी लाल जरी जूती, गुजराती मुड्डी जरीन जनानी, कैमल रेशमीन नोकदार मर्दाना, कैमल कटिंग रोशनी मोजरी, राजस्थानी कशीदाकारी जूती, बहादुर शाह गोसा स्लीपर, यह सभी राजस्थान में बनने वाले जुतियों के प्रकार हैं।