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Supreme Court News: क्या मां-बाप को बच्चों की सेक्स चेंज सर्जरी कराने का होना चाहिए हक…

Supreme Court On Sex Change Surgery: क्या बच्चों की लिंग बदलाव सर्जरी पर रोक होनी चाहिए? क्या पैरेंट्स को अपने बच्चे का सेक्‍स चेंज कराने का अधिकार नहीं है? सुप्रीम कोर्ट के सामने ये अनेक प्रश्न एक जनहित याचिका की वजह से आए हैं याचिका मांग करती है कि पैरेंट्स के बच्चे की सेक्स-रीअसाइनमेंट सर्जरी कराने पर रोक लगे यह बच्चे पर छोड़ दिया जाए वह बालिग होने पर स्वयं तय कर सके क‍ि उसे संभोग चेंज ऑपरेशन की आवश्यकता है या नहीं उच्चतम न्यायालय ने पीआईएल पर केंद्र गवर्नमेंट की राय पूछी है चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने तय किया कि वह मुद्दे को सुनेगी जनहित याचिका (PIL) गोपीशंकर ने दाखिल की है उनके वकील ने SC को कहा कि सिर्फ़ तमिलनाडु गवर्नमेंट ने पैरेंट्स के बच्चों का जेंडर सर्जिकली तय करने पर रोक लगा रखी है तमिलनाडु गवर्नमेंट ने 2019 में मद्रास उच्च न्यायालय के एक निर्णय के बाद इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी की थी

‘सेक्स चेंज सर्जरी के लिए विवश नहीं कर सकते’

शंकर ने अपनी PIL में बोला है कि मां-बाप को रोकने के लिए अभी तमिलनाडु के सिवा कहीं कोई कानूनी प्रबंध उपस्थित नहीं है याचिकाकर्ता ने बोला क‍ि इंटर-सेक्स बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसा कानून महत्वपूर्ण है ठीक उम्र का होने पर वे स्वयं तय करें कि उन्हें किस जेंडर की पहचान चाहिए उच्चतम न्यायालय की बेंच ने केंद्र गवर्नमेंट को नोटिस जारी किया है साथ ही, SC ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से न्यायालय की सहायता करने को कहा मद्रास HC ने अप्रैल 2019 में निर्णय सुनाते हुए NALSA मुद्दे में SC के 2004 वाले निर्णय का हवाला दिया था SC ने उसमें बोला था कि किसी को भी संभोग रीअसाइनमेंट सर्जरी कराने के लिए विवश नहीं किया जा सकता

मद्रास HC के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने अपने निर्णय में कहा, ‘जब कोई बच्चा पैदा होता है तो सामान्‍य तौर पर उसके नर या मादा जननांग होते हैं लेकिन कई बच्चे ऐसे भी होते हैं जिनके जननांग इन दोनों कैटेगरी में नहीं आते उन्‍हें इंटरसेक्स बच्चे कहते हैं उन्‍हें अपनी लैंगिक पहचान ढूंढने के लिए पर्याप्त समय और स्थान मिलनी ही चाहिए‘ तमिलनाडु गवर्नमेंट से नोटिफिकेशन जारी करने को कहते हुए, उच्च न्यायालय ने बोला था कि पैरेंट्स की सहमति को इंटरसेक्स बच्चे की सहमति नहीं बताया जा सकता

सेम-सेक्स मैरिज के विरुद्ध SC ने दिया था फैसला

पिछले वर्ष अक्टूबर में, SC के पांच जजों की बेंच ने एकमत से क्वीर समुदाय के शादी अधिकार की मांग करती याचिका खारिज कर दी थी न्यायालय ने LGBTQIA+ कम्युनिटी को सिविल यूनियन के अधिकार देने से भी इंकार कर दिया था हालांकि, सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल ने क्वीर कपल्‍स को सिविल यूनियन और अडॉप्शन से जुड़े अधिकार देने के अधिकार में निर्णय सुनाया था

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