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जानें, शीतला अष्टमी के दिन क्यों लगता है बासी खाने का भोग

हिंदू धर्म में हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी और अष्टमी मनाई जाती है. इस वर्ष ये पर्व 1 और 2 अप्रैल को मनाया जाएगा. शीतला अष्टमी को बसौड़ा अष्टमी, बसोड़ा जैसे नामों से जाना जाता है. इस शुभ दिन पर मां पार्वती के अवतार शीतला माता की पूजा-आराधना का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी व्रत के दौरान घर में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता है. इस दिन एक दिन पहले यानी शीतला सप्तमी के दिन बनाए गए भोजन का ही शीतला माता को भोग लगाया जाता है और इसी बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. आइए जानते हैं कि शीतला एकादशी के दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता है?

माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का महत्व : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला माता को बासी भोजन बहुत प्रिय है. इसलिए माता शीतला को भोग लगाने के लिए बसोड़ा से एक दिन पहले ही रबड़ी, हलवा,पकौड़ी, पुआ, मीठे चावल, पूरी समेत सभी पकवान तैयार कर लिए जाते हैं और अगले दिन शीतला माता की पूजा के दौरान उन्हें भोग चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से मां शीतला साधकौों को स्वस्थ्य रहने का आशीर्वाद देती है. वहीं, वैज्ञानिक कारणों के अनुसार, चैत्र माह शीत ऋतु के जाने और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय होता है. मौसम में परिवर्तन के इस अवधि में खान -पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. सुबह-शाम सर्दी और दिनभर गर्मी की वजह से आदमी का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. वर्ष में एक दिन सर्दी और गर्मी के संधिकाल में ठंडा भोजन करना पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद माना गया है. ऐसे में जो लोग शीतला अष्टमी के दिन ठंडा खाना खाते हैं, वे लोग ऋतुओं के संधिकाल में होने वाली रोंगों से बचे रहते हैं.

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