लाइफ स्टाइल

राधा-कृष्ण को समर्पित है रंग पंचमी का पावन पर्व

हर वर्ष होली के पांचवे दिन यानी की चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. यह पावन दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है. इस दिन हवा में गुलाल उड़ाया जाता है. मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी के मौके पर सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आकर रंग और अबीर से होली खेलते हैं. बता दें कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में खासतौर पर इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

बता दें कि चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर इस पर्व को मनाए जाने की वजह से इसको कृष्ण पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. वहीं अन्य कई जगहों पर इसको देव पंचमी और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस वर्ष रंग पंचमी का पर्व कब और किस तरह मनाया जाता है.

रंग पंचमी 2024 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार 29 अप्रैल 2024 को रात 08:20 मिनट पर चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि की शुरूआत हुई. वहीं अगले दिन यानी की 30 मार्च 2024 को रात 09:13 मिनट पर इस तिथि का समाप्ति होगा. उदयातिथि के मुताबिक 30 मार्च 2024 को रंग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है. आपको बता दें कि इस दिन देवताओं तक होली खेलने का समय सुबह 07.46 से सुबह 09.19 मिनट तक है.

रंग पंचमी की मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन ईश्वर श्रीकृष्ण ने अपनी प्रेयसी राधा रानी के साथ होली खेली थी. इस दिन देवी-देवता भी आसमान से फूलों की वर्षा करते हैं. इसलिए रंग पंचमी के मौके पर हवा में अबीर और गुलाल उड़ाया जाता है. साथ ही इस दिन विधि-विधान से ईश्वर श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन ईश्वर श्रीकृष्ण और राधा रानी को गुलाल अर्पित करने से आदमी की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. रंग पंचमी के मौके पर कई जगहों पर जुलूस निकाला जाता है और हवा में अबीर-गुलाल उड़ाया जाता है.

रंग पंचमी का महत्व

रंग पंचमी के दिन हवा में अबीर और गुलाल उड़ाया जाता है. इस दिन हवा में उड़ते हुए गुलाल से जातक के अंदर सात्विक गुणों में अभिवृद्धि होती है. साथ ही आदमी के तामसिक और राजसिक गुणों का नाश होता है. इसलिए इस दिन शरीर पर नहीं बल्कि वातावरण में अबीर-गुलाल बिखेरा जाता है.

Related Articles

Back to top button