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नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि पर ऐसे करें कन्या पूजन

चैत्र नवरात्रि पर्व की आरंभ 9 अप्रैल से सर्वार्थसिद्धि योग में हुई और नवरात्रि 17 अप्रैल तक रहेंगे. चैत्र नवरात्रि की धूम पूरे राष्ट्र में है. माता की भक्ति में लीन भक्तों को अब अष्टमी और रामनवमी का प्रतीक्षा है. चैत्र नवरात्रि की अष्टमी 16 अप्रैल और रामनवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी. अष्टमी और रामनवमी पर कन्याओं को भोजन कराया जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा अनीष व्यास ने कहा कि चैत्र नवरात्र मंगलवार 9 अप्रैल 2024 से प्रारम्भ हो गई है. वहीं इसका समाप्ति 17 अप्रैल को होगा. नवरात्र के दौरान भिन्न-भिन्न दिनों में देवी दुर्गा के भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा की जाती है. इन नौ दिनों में अष्टमी और नवमी तिथि सबसे जरूरी मानी जाती हैं. नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. व्रत रखने वाले भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं. कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति एवं सम्पन्नता आती है. कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं का होना जरूरी होता है. इस बीच यदि कन्याएं 10 साल से कम उम्र की हो तो जातक को कभी धन की कमी नही होती और उसका जीवन उन्नतशील रहता है.

ज्योतिषाचार्य डा अनीष व्यास ने कहा कि नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है. आमतौर पर नवमी को कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है. लेकिन कुछ श्रद्धालु अष्टमी को भी कन्या पूजन करते हैं. नवरात्रि  में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्रंथों में कहा गया है. इसके पीछे भी शास्त्रों में वर्णित तथ्य यही हैं कि 2 से 10 वर्ष तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के गुनाह समाप्त होते हैं. कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं. इसके बाद कन्या भोज और पूजन करें. कन्या भोजन न करवा पाएं तो भोजन बनाने का कच्चा सामान जैसे चावल, आटा, सब्जी और फल कन्या के घर जाकर उन्हें भेंट कर सकते हैं.

कन्या पूजन महाष्टमी और रामनवमी को

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने कहा कि नवरात्रि में कन्या पूजन या कुमारी पूजा, महाष्टमी और रामनवमी दोनों ही तिथियों को किया जाएगा. महाष्टमी को मां महागौरी और रामनवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. जिन घरों में महाष्टमी और महानवमी की पूजा होती है, वहां इस दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है और उन्हें गिप्ट बांटे जाते हैं.

पुराणों में है कन्या भोज का महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा अनीष व्यास ने कहा कि पौराणिक धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के मुताबिक नवरात्री के आखिरी दिन कौमारी पूजन जरूरी होता है. क्योंकि कन्या पूजन के बिना भक्त के नवरात्र व्रत अधूरे माने जाते हैं. कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी तिथि को उपयुक्त माना जाता है. कन्या भोज के लिए दस साल तक की कन्याएं उपयुक्त होती हैं.

कन्या और देवी के शस्त्रों की पूजा

ज्योतिषाचार्य डा अनीष व्यास ने कहा कि अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें. इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए. इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए. इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए. दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए. पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए.

हर उम्र की कन्या का होता है अलग महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा अनीष व्यास ने कहा कि 2 वर्ष की कन्या को कौमारी बोला जाता है. इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता समाप्त होती है. 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है. 4 वर्ष की कन्या कल्याणी मानी जाती है. इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है. 5 वर्ष की कन्या रोहिणी माना गया है. इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है. 6 वर्ष की कन्या कालिका होती है. इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है. 7 वर्ष की कन्या को चंडिका माना जाता है. इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है. 8 वर्ष की कन्या शांभवी होती है. इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है. 9 वर्ष की कन्या दुर्गा को दुर्गा बोला गया है. इनकी पूजा से दुश्मन विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं. 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा होती है. सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है.

अष्टमी शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अप्रैल को रात 12.11 बजे से प्रारम्भ हो रही है. यह तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 1:23 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में नवरात्र की अष्टमी तिथि का व्रत मंगलवार 16 अप्रैल, को रखा जाएगा.

नवमी तिथि शुभ मुहूर्त

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को रात 1: 23 मिनट से प्रारम्भ हो रही है. वहीं, इसका समाप्ति 17 अप्रैल को दोपहर 3:14 मिनट पर होगा. ऐसे में नवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी

इस तरह करें पूजन

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा अनीष व्यास ने कहा कि कन्या पूजन के दिन घर आईं कन्याओं का सच्चे मन से स्वागत करना चाहिए. इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं. इसके बाद स्वच्छ जल से उनके पैरों को धोना चाहिए. इससे भक्त के पापों का नाश होता है. इसके बाद सभी नौ कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. इससे भक्त की तरक्की होती है. पैर धोने के बाद कन्याओं को साफ आसन पर बैठाना चाहिए. अब सारी कन्याओं के माथे पर कुमकुम का टीका लगाना चाहिए और कलावा बांधना चाहिए. कन्याओं को भोजन कराने से पहले अन्य का पहला हिस्सा देवी मां को भेंट करें, िफर सारी कन्याओं को भोजन परोसे. वैसे तो मां दुर्गा को हलवा, चना और पूरी का भोग लगाया जाता है. लेकिन यदि आपका सामाथ्र्य नहीं है तो आप अपनी इच्छानुसार कन्याओं को भोजन कराएं. भोजन खत्म होने पर कन्याओं को अपने सामथ्र्य मुताबिक दक्षिणा अवश्य दें. क्योंकि दक्षिणा के बिना दान अधूरा रहता है.

विवाह में देरी

यदि विवाह में देरी हो रही है तो पांच वर्ष की कन्या को खाना खिलाकर. श्रृंगार का सामान भेंट करें.

धन संबंधी समस्या

पैसों की कमी से परेशान हैं तो चार वर्ष की कन्या को खीर खिलाएं. इसके बाद पीले कपड़े और दक्षिणा दें.

शत्रु बाधा और काम में रुकावटें

नौ वर्ष की तीन कन्याओं को भोजन सामग्री और कपड़ें दें.

पारिवारिक क्लेश

तीन और दस वर्ष की कन्याओं को मिठाई दें.

बेरोजगारी

छह वर्ष की कन्या को छाता और कपड़ें भेंट करें.

सभी समस्याओं का निवारण

पांच से 10 वर्ष की कन्याओं को भोजन सामग्री देकर दूध, पानी या फलों का रस भेंट करें. सौन्दर्य सामग्री भी दें.

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