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Antibiotics: कोरोना में बढ़ा एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग, WHO ने कहा…

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का बोलना है कि कोविड-19 के दौरान उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का भारी दुरुपयोग किया गया. इससे रोगियों की स्थिति में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, लेकिन रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के मूक प्रसार और उससे जुड़े खतरे जरूर बढ़ गए हैं. 

 

रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एंटीबायोटिक दवाएं कई तरह के संक्रमण को रोकने में बेअसर साबित होती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती रोगियों में से महज आठ प्रतिशत को बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण था. इस संक्रमण का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं से संभव है, मगर इसके बावजूद कोविड-19 के हर चार में से तीन रोगी यानी 75 प्रतिशत को केवल इस आशा में एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं कि शायद वो लाभ वाला होंगी.

जिन्हें बैक्टीरियल इनफेक्शन नहीं था उन्हें हानि हुआ… 

 

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोविड-19 से पीड़ित रोगियों में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से स्थिति में कोई सुधार तो नहीं आया, लेकिन उन लोगों में जिन्हें बैक्टीरियल इन्फेक्शन नहीं था, उन्हें इन दवाओं से हानि जरूर हुआ. यह निष्कर्ष डब्ल्यूएचओ की ओर से Covid-19 के लिए बनाए अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित हैं. यह आंकड़े जनवरी 2020 से मार्च 2023 के बीच 65 राष्ट्रों में साढ़े चार लाख रोगियों से हासिल किए गए थे.

 

 

जरूरत न होने पर सहायता की स्थान नुकसान…सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता सिर्फ़ बैक्टीरिया के कारण होने वाले कुछ विशेष संक्रमणों के उपचार के लिए पड़ती है, जबकि बैक्टीरिया से होने वाले कुछ संक्रमण एंटीबायोटिक दवाओं के बिना भी ठीक हो जाते हैं. यह एंटीबायोटिक दवाएं सर्दी, फ्लू या Covid-19 जैसे वायरसों पर काम नहीं करतीं. ऐसे में जब एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता नहीं होती तो वे सहायता करने की स्थान स्वास्थ्य को अधिक हानि पहुंचाती हैं.

 

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