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जानें क्या है हीटस्ट्रोक, इसके कारण और बचाव

गर्मियों के मौसम में बाहर तापमान अधिक होता है. इस दौरान तापमान अधिक होने पर अमूमन शरीर स्वयं को ठंडा रखने के लिए तापमान को सामान्य कर लेता है. चिकित्सक का बोलना है कि 98.7 के स्तर पर ही अमूमन शरीर का तापमान होना चाहिए. यदि तापमान इससे अधिक होता है और रोगी को अन्य समस्याएं होने लगती हैं तो इसे हीट स्ट्रोक माना जाता है. हीट्सट्रोक पर हमारे साथ बात करने के लिए उपस्थित हैं चिकित्सक फरहान अहमद.

मरीज को होती है ये समस्याएं

हीट स्ट्रोक होने पर रोगी के शरीर में कई बदलाव देखने को मिलते है. कई बार रोगी को उल्टी, चक्कर आना, पसीना आना आम होता है. हीट स्ट्रोक में भी तीन स्तर होते हैं. बता दें कि मौसम बदलने पर शरीर स्वयं ही तापमान को मेंटेन करने की प्रयास करता है. गर्मियों के मौसम में कई बार हीट स्ट्रोक हो जाता है क्योंकि आदमी अधिक समय तक धूप में रहता है. हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम में अच्छा काम नहीं होता है. इस कारण शरीर का तापमान अधिक हो जाता है.

लू लगने के कारण जानें यहां

गर्म हवाएं यहां काफी अधिक होता है. आमतौर पर एक आदमी के शरीर का तापमान 25 डिग्री तक होना चाहिए वहीं बाहर 40 डिग्री से 50 डिग्री तक तापमान रहता है. ऐसे में शरीर का तापमान जब अधिक बढ़ने लगता है तो ये स्थिति खतरनाक होती है. इससे बचने के लिए घर से बाहर निकलते समय धूप से बचने के सभी तरीका करें, जैसे चश्मा लगाएं, सिर और आंख ढ़क कर रखें.

लू लगने पर दिखते हैं ये लक्षण

हीट स्ट्रोक से पहले हीट क्रैम्प होता है जिसमें सिर दर्द, प्यास अधिक लगना, हाथ पैरों में दर्द की कम्पलेन होती है. ये पहली स्टेज होती है. दूसरी स्टेज हीट एग्जर्शन की होती है, जिसमें शरीर का तापमान अधिक हो जाता है. शरीर का तापमान 40 डिग्री के आसपास हो जाता है. इस दौरान रोगी को पसीने आते है, शरीर ठंडा पड़ जाता है, पसीना भी निकलता है. इस स्टेज में रोगी को प्यास अधिक लगती है, मुंह सूखता है, सिरदर्द की कम्पलेन होती है. हीट स्ट्रोक होने पर रोगी को वॉमिटिंग और चक्कर आने की कम्पलेन रोगियों को होती है.

डीहाइड्रेशन से कितना अलग है हीटस्ट्रोक

आमतौर पर आदमी को डीहाइड्रेशन की कम्पलेन कभी भी हो सकती है. वहीं हीटस्ट्रोक केवल गर्मियों के मौके पर ही होता है. मगर डीहाइड्रेशन कभी भी हो सकता है. डीहाइड्रेशन के साथ हीटस्ट्रोक हो ये जरुरी नहीं है मगर हीटस्ट्रोक होने पर डीहाइड्रेशन जरुर होता है. डीहाइड्रेशन होने पर शरीर में पानी की कमी होती है. पानी की कमी होने पर ही शरीर का ब्लड प्रेशर भी ऊपर नीचे होता है. ऐसे में शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए.

ऐसे बचें हीटस्ट्रोक से

बिना वजह बाहर नहीं जाना चाहिए. जरुरत पड़ने पर बाहर जाने की स्थिति में गमछा, छाता, कैप आदि का इस्तेमाल करें. बाहर जाएं तो अधिक से अधिक पानी पिएं. पानी के अतिरिक्त नारियल पानी, जूस पीना लाभदायक होता है. घर से बाहर निकलने से पहले सत्तू का सेवन करना भी उपयोगी होता है. हर स्थिति में स्वयं को हाइड्रेट करके रखना चाहिए. अधिक देर तक भी धूप के कॉन्टैक्ट में नहीं रहना चाहिए. हीटस्ट्रोक आमतौर पर अधिक देर तक धूप में नहीं रहना चाहिए. गर्मियों के मौसम में अल्कोहल लेने से भी बचना चाहिए.

ऐसे लें ट्रीटमेंट

हीटस्ट्रोक और तीनों स्टेज में रोगी को तुरन्त छाया में ले जाना चाहिए. धूप में रोगी को नहीं रखना चाहिए. रोगी के शरीर पर पानी का छिड़काव करना चाहिए. ऐसे तरीका करने चाहिए जिससे रोगी के शरीर का तापमान थोड़ा कम हो जाए. इसके बाद रोगी को हॉस्पिटल ले जाएं. रोगी के शरीर को ठंडा करने के लिए आईस बाथ, एसी में बैठाना, पंखा चलाना, स्पंज बाथ दिलाना आदि तरीका करने से भी फायदा होता है. हालांकि चिकित्सक का बोलना है कि इस परेशानी को दूर करने के लिए केवल चिकित्सक की सहायता ही लेनी चाहिए और अधिक समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. दरअसल शरीर में पानी की अधिक कमी होने पर अधिक समय तक इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

घर में ना करें उपचार

हीटस्ट्रोक की शुरुआती कंडिशन होने पर ही रोगी का उपचार घर पर रख कर ही करें. दूसरे और तीसरे स्तर पर आने के बाद रोगी का उपचार घर पर रहकर नहीं किया जा सकता है. ऐसी स्थिति होने पर रोगी का उपचार चिकित्सक की नज़र में ही करवाना चाहिए.

गर्मियों में ऐसे तापमान बनाएं शरीर का 

गर्मियों में हीटस्ट्रोक और अन्य दो स्टेज की परेशानियों से बचने के लिए कुछ खास तरीका करना चाहिए. इस दौरान छाछ पीना चाहिए. शरीर में प्रोटीन की कमी भी नहीं होने देना चाहिए, जिससे हीटस्ट्रोक की परेशानी नहीं होगी. आम का पन्ना, नींबू पानी, छाछ, आदि का इस्तेमाल करना चाहिए.

क्या ईस्ट इलाकों में अलग होते हैं लक्षण

जहां लोगों को पसीना अधिक आता है, वहां रोगी के सभी फंक्शन बराबर काम करते है. रोगी को चक्कर आने, उल्टी की कम्पलेन आ रही है. रोगी को अत्यधिक पसीना आने की स्थिति में रोगी को अस्तपाल में भर्ती करना चाहिए.

घर से बाहर निकलने पर ये जरुर ले जाएं

घर से बाहर जाएं तो जरुर पानी पिएं. लगातार पानी पीने के बाद भी कई बार छाछ, आमपन्ना आदि का सेवन कर सकते है. सीधे तौर पर सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से जरुर बचें. पानी की कमी ना होने दें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें.

हार्ट और किडनी के रोगी ऐसे करें बचाव

कई ऐसी बीमारियां भी होती है जिसमें रोगी को अधिक पानी पीने से मनाही होती है. हार्ट और किडनी के रोगियों को अधिक पानी पीने से बचने के आदेश दिए गए है. ऐसे रोगी अधिक धूप में जाने से बचे. केवल अत्यधिक काम होने की स्थिति में ही धूप में बाहर निकलें. इस मौसम में कोल्ड ड्रिंक पीने से बचना चाहिए. इससे बचने के लिए मटके का पानी भी पीना चाहिए.

जानें कब करें एक्सरसाइज

फिटनेस फ्रीक लोगों को गर्मियों में अधिक मेहनत की एक्सरसाइज नहीं चाहिए. इस स्थिति में होने पर की समस्याएं हो सकती है. अधिक एक्सरसाइज या फिर अधिक फिजिकल एक्टिविटी करने की स्थिति में कठिनाई बढ़ सकती है. ऐसे में अधिक एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए.

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