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सर्बिया में आज भी हजारों हो रहे कैंसर के शिकार, नाटो बमबारी की 25वीं बरसी पर खुलासा

मानव जाति ने युद्ध के हथियार इतने घातक विकसित कर लिए हैं कि उनका असर युद्ध ख़त्म होने के कई दशकों बाद भी बना रहता है.

यूरोप के छोटे से राष्ट्र सर्बिया की बात करें तो 1999 में नाटो राष्ट्रों ने यहां बमबारी की थी. सर्बियाई गवर्नमेंट के अनुसार 25 वर्ष बाद भी लोग इससे बाहर नहीं निकल पाए हैं आज भी हजारों लोग बमबारी के झटकों के कारण कैंसर जैसी रोंगों से पीड़ित हैं.

सर्बिया की स्वास्थ्य मंत्री डेनिका ग्रुजिकिक ने नाटो हमले के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और बाद में एक मीडिया इंटरव्यू में बोला कि 1999 के युद्ध में बमबारी के बाद यहां की प्रबंध चरमरा गई थी इसका असर आज भी दिख रहा है और लोगों के कैंसर जैसी रोंगों की चपेट में आने से मौत रेट भी बढ़ती जा रही है.

डैनिका ग्रुजिसिक ने आगे कहा, ”मैंने कुछ सर्बियाई डॉक्टरों के साथ मिलकर एक पुस्तक लिखी है और इसमें 1999 में हुए भयानक बमबारी के परिणामों से जुड़े तथ्य प्रकाशित किए गए हैं इस पुस्तक का विश्लेषण हमारे पास मौजूद सभी तथ्यों और आंकड़ों की सहायता से किया गया है. रूस में हुए अध्ययन से हमें लोगों के कैंसर का उपचार करने में सहायता मिली है.

डैनिका ग्रुजिसिक स्वयं एक न्यूरोसर्जन हैं और स्वास्थ्य मंत्री बनने से पहले उन्होंने सर्बिया के इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी एंड रेडियोलॉजी के निदेशक के रूप में काम किया था. उनके मुताबिक, सर्बिया में हर वर्ष 40000 लोगों को कैंसर होता है और सर्बिया की जनसंख्या को देखते हुए यह आंकड़ा बहुत बड़ा बोला जा सकता है. अब हमारी गवर्नमेंट एक ऐसा सॉफ्टवेयर बना रही है, जिस पर नए रोगी अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे.

डैनिका ग्रुजिकिक ने साक्षात्कार में जिस युद्ध का जिक्र किया वह 1999 में हुआ था इस दौरान यूगोस्लाविया में कोसोवो लिबरेशन आर्मी और सर्बियाई सेना तथा अल्बानियाई अलगाववादियों के बीच भयानक युद्ध लड़ा गया और फिर नाटो राष्ट्र भी इसमें कूद पड़े. 24 मार्च को प्रारम्भ हुआ युद्ध दो महीने तक चला और उस दौरान बम मारा में 2500 लोग मारे गए

सर्बिया का मानना ​​है कि बम में कम संवर्धित यूरेनियम बम का भी इस्तेमाल किया गया था और युद्ध के बाद राष्ट्र में कैंसर के मरीजों में वृद्धि हुई.

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