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Friendship Tips: जानिए, कैसे करें सही दोस्त का चुनाव…

स्कूली शिक्षा पूरी कर अब आप यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने जा रही हैं. इस नयी राह में ठीक विषय और कॉलेज चुनने के साथ ही महत्वपूर्ण है ठीक दोस्तों का चुनाव, क्योंकि इनका असर आपके चरित्र पर पड़ता है.

स्कूल समाप्त हो गए हैं, अब आपको अपना करियर बनाने के लिए ठीक कॉलेज और विषय का चयन करना है. विद्यालय में पूरी क्लास ही आपकी दोस्त होती थी, लेकिन अब नौकरी या कॉलेज में ऐसा नहीं होने वाला. विद्यालय में आपने अक्सर देखा होगा कि यदि आपकी बेस्ट फ्रेंड क्लास में अव्वल आती थी तो सबकी नजर आप पर भी रहती थी कि आप भी वैसी ही होंगी. इसलिए जब भी टेस्ट या एग्जाम में आपके कम नंबर आते थे तो टीचर आपको यही कहती थीं कि ‘कुछ उससे ही सीख लो’ या उसे कहती थीं कि ‘कुछ उसे भी सिखा दो.

अब आपकी जीवन का एक नया यात्रा प्रारम्भ होने वाला है. ऐसे में आपके दोस्तों कैसे हैं, आप किनके साथ उठती-बैठती हैं, इसका आपके चरित्र पर भी असर पड़ेगा. इसके लिए आपको घर, दोस्तों और बड़ों से नसीहत भी मिलनी प्रारम्भ हो गई होगी कि ‘फ्रेंड सर्कल अच्छा होना चाहिए, अन्यथा तुम्हारी कोई इज्जत नहीं रह जाएगी.’ दरअसल, फ्रेंड सर्कल को हमारा समाज हमारी पर्सनैलिटी यानी चरित्र से जोड़कर देखता है और कहता है कि ‘अच्छे फ्रेंड मतलब अच्छा व्यक्तित्व, गलत संगत यानी खराब व्यक्तित्व.’ अब प्रश्न यह है कि क्या सच में सबका यह डर ठीक है और क्या वाकई फ्रेंड सर्कल का असर आपके चरित्र पर पड़ता है?

कैसे करें ठीक चुनाव

खुशी गणित में बहुत अच्छी थी, लेकिन उसकी सारी सहेलियां चिकित्सा क्षेत्र में जाना चाहती थीं, इसलिए उसने भी चिकित्सा को चुना, जबकि उसके माता-पिता चाहते थे कि वह इंजीनियरिंग करे. जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसे अपनी भूल का अहसास होने लगा. अब उसे अफसोस होता है कि उसने अपने मन के अनुसार अपनी राह क्यों नहीं चुनी. असल में, आप जिनके साथ अधिक समय बिताती हैं, उनका असर आपके व्यवहार पर जरूर पड़ता है और कभी न कभी वह आपके चरित्र में भी नजर आने लगता है. यदि आप अच्छे लोगों के साथ रहेंगी तो इससे आपका व्यवहार सुधरेगा. वहीं, गलत संगत आपके व्यवहार को बिगाड़ने के साथ ही लक्ष्य से आपको भटकाने का काम करेगी. यहां भले ही खुशी का साथ अच्छा था, लेकिन दोस्तों के असर में आकर उसने एक गलत चुनाव कर लिया, जिसका अहसास उसे जीवन भर रहेगा.

जिंदगी भर का साथ

मिसेज शर्मा की बेटी रीना बहुत घुमक्कड़ है. जब देखो इधर-उधर ही घूमती है.” सोसायटी की एक स्त्री ने कहा. इस पर उसके साथ बैठी दूसरी स्त्री ने पूछा, “तुम ऐसा क्यों बोल रही हो. मुझे तो ऐसा नहीं लगता?” उसकी बात का उत्तर देते हुए पहली स्त्री ने कहा, “देखा नहीं उसका फ्रेंड सर्कल? सोसाइटी के सारे आवारा बच्चे उसके दोस्त हैं!” असल में, कई बार आपके दोस्तों के व्यवहार के आधार पर लोग आपको न्यायधीश करने लगते हैं. ऐसे में दोस्ती हमेशा सोच-समझकर करनी चाहिए. जानकार कहते हैं कि अच्छे और सच्चे दोस्त बनाएं, जिससे आपको जीवन भर आगे बढ़ने की सीख मिले और दोस्त ऐसे चुनें, जो जीवन के हर पड़ाव पर आपका साथ दें. इससे आप पॉजिटिव रहेंगी और महसूस करेंगी कि आपके साथ एक बैकअप सपोर्ट सिस्टम है, यानी एक फ्रेंड बैंक है.

अंधविश्वास नहीं

“माही, मुझे दो दिन के लिए अपने नोट्स दे दो. मैं पक्का तुम्हें एग्जाम से पहले वापस कर दूंगी.” माही की सहेली ने जब उसके नोट्स मांगे तो माही ने नोट्स दे दिए. उसके जाने के बाद माही की मम्मी ने समझाया, “तुमने अपनी सहेली को नोट्स दे दिए, अच्छी बात है, लेकिन आंख बंद करके बिल्कुल से किसी पर विश्वास करना ठीक नहीं. अभी यह तुम्हारी नयी दोस्त बनी है. नया कॉलेज है. तुम्हें क्या पता कि वह कितना सच बोल रही है.ठीक भी है. यदि आपकी फ्रेंडशिप काफी पुरानी है तो बात और है, लेकिन नया कॉलेज और नए फ्रेंड्स, नयी दोस्ती हो तो थोड़ा संदेह करना भी बनता है और सावधान रहने की भी आवश्यकता है.

भरोसे की सीमा

“मुझे आज भी याद है, मेरे कॉलेज में मेरा एक दोस्त हुआ करता था, जीतू. वह अक्सर मुझसे रुपये उधार मांगता और कहता कि वह जल्द ही ये रुपये लौटा देगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ.” मीनल ने जब अपनी मम्मी के मुंह से यह बात सुनी तो आश्चर्य से उनकी तरफ देखा और समझ गई कि वह क्या समझाना चाहती हैं. हकीकत में दोस्त होना अच्छी बात है, लेकिन आज के समय में असत्य और फरेब करने वाले भी बहुत हैं. इसलिए आंख मूंद कर किसी पर भी भरोसा करना ठीक नहीं. आपके दोस्त क्या करते हैं, उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है, यह जानना भी आपके लिए महत्वपूर्ण है.

स्टेटस नहीं, स्वभाव देखें

“पता है मम्मी, आज मेरे कॉलेज में एक फेमस ब्लॉगर ने भी एडमिशन लिया है. मैंने तो उससे आज ही दोस्ती कर ली. अब देखना, मैं भी उस की तरह कितनी शीघ्र मशहूर हो जाऊंगी.” आंचल जब अपनी मम्मी को कॉलेज के पहले दिन की सारी बातें बता रही थी, तभी वहां उसकी बड़ी बहन भी पहुंच गई और बोली, “दोस्त इसलिए मत चुनो कि वे लोकप्रिय हैं या इसलिए कि वे अच्छे दिखते हैं या फिर इसलिए कि वे अमीर हैं और ब्लागर भी हैं. तुम्हें अपने दोस्तों का चुनाव समझदारी से करना चाहिए.” आंचल की बहन ठीक तो कह रही है. आपको यह सोचना चाहिए कि आपकी फ्रेंडशिप लंबे समय तक चले और आपके दोस्त आपको ठीक और गलत में फर्क समझा सकें. ऐसा तो एकदम नहीं कि उसको प्रसिद्धि मिली है तो आपको भी उसके साथ रहने से प्रसिद्धि मिल जाएगी. आपको प्रसिद्धि आपके अपने गुणों से ही मिलेगी.

गलत दोस्त, गलत आदतें

मनोविज्ञान के प्रोफेसर ब्रेंट डब्ल्यू रॉबर्ट्स का बोलना है कि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपके चरित्र में भी परिवर्तन आते हैं. लोग आमतौर पर चरित्र और व्यवहार को एक समझ लेते हैं और गलती कर बैठते हैं. असल में, इन दोनों में अंतर है. चरित्र एक लंबा पैटर्न है, जबकि व्यवहार आपकी संगति और परिवेश के मुताबिक जल्दी-जल्दी बदलता है. लेकिन यदि आप लंबे समय तक गलत संगत में रहेंगी तो यह आपके चरित्र और व्यवहार, दोनों पर ही नकारात्मक असर दिखाएगा, क्योंकि अध्ययन के अनुसार, संगति चरित्र को करीब 50 फीसदी तक प्रभावित करती है. गलत दोस्त, गलत आदतों का जरिया बनते हैं, जिसका सीधा असर आपके भविष्य पर पड़ सकता है.

सपनों की उड़ान को पंख देते हैं मित्र

आर्यभट्ट कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर वर्षा सिंह बताती हैं, मित्रता जरूरी है, क्योंकि यह हमें उन लोगों के साथ संबंध बनाने में सहायता करती है, जो हमारे मूल्यों और रुचियों को साझा करते हैं. मित्र हमें अकेलापन महसूस नहीं होने देते और जब हम उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की दिशा में काम करते हैं तो उसमें सहायक होते हैं हमारे यही दोस्त. वे हमें हमारे जुनून और सपनों की उड़ान के पंख देते हैं. वे हमें  कठिन समय में सहायता और राय देते हैं.

हमारी दोस्ती हमारे मानसिक स्वास्थ्य और खुशियों को भी बढ़ाती है. हम अपने पेशेवर जीवन और पर्सनल जीवन में मानवीय संबंध बनाते हैं. हम अस्थायी तौर पर लोगों से दोस्ती कर सकते हैं, जैसे स्कूल, कॉलेज या काम के जगह पर. हालांकि कुछ मित्रता जीवन भर बनी रहती है, भले ही आप उस मित्र से कहीं भी मिले हों. वे हमें कार्यस्थल पर चुनौतियों का सामना करते समय भी मिल सकते हैं. दोस्त हमें हमारे मूल्यों से जोड़ने का भी काम करते हैं. अपने करीबी दोस्तों से मिलने वाला भावनात्मक समर्थन हमें जीवन में नीरसता महसूस नहीं होने देता. वे हमें प्रेरणा देते हैं और चुनौतियों से उबरने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

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