बिहारस्वास्थ्य

डायबिटीज के मरीज भी कर सकते हैं इस आलू का सेवन, जाने और कुछ खास बाते

 बक्सर और सीवान के साथ-साथ अब बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में भी काले आलू की खेती होने लगी है यहां के नरकटियागंज प्रखंड के मुसहरवा गांव के एक किसान ने काले आलू की खेती की है कृषि वैज्ञानिकों की माने तो सफेद आलू की तुलना में काले आलू की खेती किसानों के लिए लाभ वाला हो सकती है काले आलू की खेती से किसान सफेद आलू की तुलना में तीन से चार गुना अधिक फायदा कमा सकते हैं केवल इतना ही नहीं, डायबिटीज के रोगियों के लिए सफेद आलू हानिकारक हैं, लेकिन काला आलू उनके लिए लाभ वाला है इसका सबसे बड़ा कारण इस आलू में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट और फ्लोरिक एसिड है

हार्ट और कैंसररोधी गुणों से भरपूर है काला आलू
आलू की इस खास प्रजाति के बारे में नरकटियागंज कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक अभिक पात्रा ने कहा कि साधारण आलू की तुलना में काले आलू में कार्बोहाइड्रेड की मात्रा 20 फीसदी तक कम होती है ऐसे में डायबिटीज के रोगी भी इसका सेवन कर सकते हैं इसमें पाए जाने वाले कॉपर, मैंगनीज और फाइबर जैसे औषधीय तत्व, हार्ट, लीवर और फेफड़े के लिए लाभ वाला हैं खून की कमी से जूझ रहे रोगियों के लिए यह संजीवनी से कम नहीं है एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर काला आलू हमारे शरीर में कैंसर के सेल्स को बनने से रोकता है

साधारण आलू से चार गुणा अधिक कीमत
किसान कमलेश चौबे पिछले दो वर्ष से काले आलू की सफल खेती कर रहे हैं उन्होंने कहा कि साधारण आलू की तुलना में काले आलू की मूल्य करीब चार गुना अधिक है उन्होंने इसका बीज महाराष्ट्र से मंगाया था और इसकी बुआई की गई फसल ने नियत समय पर तैयार हो गई और उनके आधे एकड़ खेत में ही करीब 500 किलोग्राम तक आलू की पैदावार हो गई वर्तमान में कमलेश इसकी बीज, बिहार के कई जिलों के किसानों के अतिरिक्त यूपी, झारखंड और असम तक के किसानों को भेज रहे हैं उन्होंने इसकी खेती में पारंगत हो चुके हैं और अब दूसरे किसानों को भी सहायता पहुंचाना चाहते हैं गौर करने वाली बात यह है कि काले आलू की सब्जी भी पूरी तरह से जमुनी रंग की होती है, और इसका स्वाद सफेद आलू से बिलकुल अलग होता है

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