देव आनंद की फिल्म पर मचा था हूब हंगामा, रिलीज होते ही गाड़े झंडे, बॉक्स-ऑफिस पर मचाया तूफा
‘हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।। मैं जीवन का साथ निभाता चला गया…’ देव आनंद हिंदी सिनेमा का वो नाम हैं जिन्होंने हर फिक्र को धुएं में उड़ाते हुए सिनेमा को अपनी जीवन में कुछ इस कदर उतारा कि वह फिल्मों की दुनिया में अमर हो गए। आज देव आनंद साहब के 100वें जन्मदिन के मौके पर उनको याद करते हुए उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों के बारे में बात करने जा रहे हैं। अब ‘गाइड’ के जिक्र के बिना देव आनंद की जीवन के बारे में बात करना कुछ बेईमानी सी लगती है। ये फिल्म उनके करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है। देव आनंद और वहीदा रहमान की ये फिल्म कई मायनों में हिंदी सिनेमा के लिए बहुत खास थी।
वक्त से पहले किसी नयी अवधारणा को पर्दे पर उतारने से पहले फिल्म निर्माता और निर्देशक कई बार सोच-विचार करते हैं कि क्या दर्शक इस विचार को अपनाएंगे। वर्ष 1966 में आई फिल्म ‘गाइड’ को बनाने से पहले देव आनंद और उनके भाई विजय आनंद का हाल भी कुछ ऐसा ही हुआ था। 57 वर्ष पहले आई इस फिल्म में लिव इन रिलेशनशिप के कांसेप्ट को पर्दे पर खूबसूरती से दर्शाया गया था।
अब जहां हमारे समाज में इस कांसेप्ट पर लोग आज भी खुलकर बात करने से कतराते हैं वहां देव आनंद ने वर्षों पहले इसपर फिल्म बनाकर दर्शकों और क्रिटिक्स की खूब वाहवाही लूटी थी। इस फिल्म में देव आनंद के साथ वहीदा रहमान लीड रोल में नजर आई थीं। वहीदा ‘गाइड’ में एक ऐसी स्त्री के भूमिका में नजर आती हैं जो शादीशुदा तो रहती हैं, लेकिन उन्हें उस विवाह में बंदिशों और दुखों के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलता और जब किस्मत से वह देव यानी कि देव आनंद से टकराती हैं तो उनकी जीवन की चौखट पर सच्चे प्यार की दस्तक होती है।
खूब की कमाई
देव आनंद और वहीदा रहमान की इस फिल्म की रिलीज से पहले खूब हो-हंगामा भी हुआ था। कुछ लोगों ने इस फिल्म पर समाज को दूषित करने तक का इल्जाम लगाया था। लेकिन इन सब बाधाओं के बावजूद जब ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई तो तहलका मच गया। इस फिल्म ने दर्शकों पर ऐसा असर किया कि टिकट खिड़कियों के बाहर लंबी कतारें लगने लगीं। इस फिल्म के गाने तो आज भी लोगों की जुबां पर चढ़े हुए हैं।
किताब पर बनी फिल्म
आरके नारायण के उपन्यास पर बनी इस फिल्म ने राष्ट्र और दुनिया में खूब प्रशंसा बटोरी। ‘गाइड’ को हिंदुस्तान की तरफ से ऑस्कर के लिए नॉमिनेट भी किया गया था। अब यदि आपने अभी तक ये फिल्म नहीं देखी है तो देव आनंद साहब की याद में आज आपको ये फिल्म तो देखी ही लेनी चाहिए।