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कब आएगा वो एक मिनट, जिसमें होंगे 59 सेकेंड, जानें क्या है पूरा मामला

सोच‍िए यदि वक्‍त पीछे चला जाए आपकी घड़ी की सूइयां पीछे हो जाएं, तो क्‍या होगा आप सोचेंगे आख‍िर ऐसा होगा क्‍यों? दरअसल, इतिहास में पहली बार, ऐसा करने की कोश‍िश हो रही है, क्‍योंकि धरती पहले की तुलना में कुछ अधिक तेजी से घूम रही है हम सब जानते हैं क‍ि धरती के घूमने की गत‍ि से ही पूरे विश्व में समय तय होता है लेकिन बीते कुछ सालों में धरती की गत‍ि इतनी तेज हो गई है कि वैज्ञान‍िक घड़ी की सुइयों को एक सेकंड के ल‍िए पीछे करने के बारे में सोच रहे हैं आइए समझते हैं क‍ि आख‍िर ये पूरा मुद्दा है क्‍या?

न्‍यूयॉर्क पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 मार्च को नेचर जर्नल में एक रिसर्च पब्‍ल‍िश हुई इसमें बोला गया है क‍ि 2029 के आसपास घड़ियों को एक सेकंड पीछे क‍िया जा सकता है इसे नेगेटिव लीप सेकंड कहते हैं यह एक ऐसा वक्‍त होगा, जब पूरी दुनिया में 60 के बजाय 59 सेकेंड होंगे यह यह एक अभूतपूर्व स्थिति होगी हालांक‍ि, जानकारों को डर है कि ऐसा करने से पूरे विश्व के कंप्यूटर प्रोग्राम गड़बड़ा सकते हैं

ऐसे तय होता समय
दरअसल, 1967 से पहले तक टाइम मापने के लिए धरती के अपनी धुरी पर घूमने को ही आधार बनाया जाता था 1967 में वैज्ञानिकों ने सबसे पहले एटॉमिक घड़ियों का इस्तेमाल प्रारम्भ किया ये घड़ियां टिक-टॉक के लिए अणुओं का इस्तेमाल करती हैं इससे समय का आकलन और परफेक्ट हो गया लेकिन आज भी अनेक नाव‍िक और समुद्र यात्री धरती की गत‍ि और चांद-सूर्य के समय पर ही निर्भर हैं दोनों की गत‍ि कभी एक जैसी नहीं रहती इसीलिए जब भी दोनों दोनों घड़ियों के बीच 0.9 सेकेंड का अंतर मापा जाता है तो एक ‘लीप सेकेंड’ जोड़ दिया जाता है इस तरह 1972 से अब तक 27 लीप सेकंड जोड़े जा चुके हैं

धरती की गति तेज हो गई
अब धरती की गति एटॉमिक घड़ी से तेज हो गई है इसल‍िए सामंजस्य नहीं बैठ रहा है अब सामंजस्य बैठाने के ल‍िए साइंटिस्‍ट घड़ी की सुइयों को एक सेकंड के ल‍िए पीछे करने के बारे में सोच रहे हैं हालांकि, ये इतना सरल नहीं होने वाला कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर डंकन एग्न्यू के मुताबिक, ऐसा प्रयोग पहले कभी नहीं हुआ इसलिए चुनौतियां ज्‍यादा होंगी अनेक कंप्यूटर प्रोग्राम लीप सेकेंड का मतलब केवल पॉजीटिव लीप सेकेंड समझते हैं उन सारे प्रोग्रामों में परिवर्तन करना होगा यह सरल तो बिल्‍कुल नहीं होने वाला लेकिन ये होगा कब डंकन एग्न्यू के मुताबिक, यदि जलवायु बदलाव का असर नहीं होता तो 2026 में ही नेगेटिव लीप सेकेंड लागू करना पड़ता लेकिन अब इसे 2029 के आसपास ही क‍िया जा सकता है

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