पहली पुण्यतिथि:मुलायम सिंह यादव से नेताजी तक का सफर नहीं रहा आसान
मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्यतिथि: भारतीय राजनीति में धरतीपुत्र और नेताजी के नाम से प्रसिद्ध रहे मुलायम सिंह यादव की जीवन से जुड़े यूं तो कई किस्से राजनीतिक गलियारों में बड़े शौक से सुने और सुनाए जाते हैं लेकिन कुछ किस्से ऐसे हैं जिन्हें मुलायम सिंह स्वयं बड़े चाव से सुनते थे। खासकर अपने गुरु उदय प्रताप सिंह से विद्यार्थी जीवन के दौरान के किस्से। ऐसे ही कुछ किस्सों का जिक्र करते हुए उन्हें अंगेजी पढ़ाने वाले उदय प्रताप सिंह ने 22 नवम्बर 2017 को मुलायम सिंह यादव के 79 वें जन्मदिन पर अपने सांसद बनने और फिर संसद में जाने से पहले मुलायम सिंह यादव द्वारा दी गई नसीहत का जिक्र किया था। उदय प्रताप सिंह ने बोला था कि वैसे तो उन्होंने मुलायम सिंह यादव को पढ़ाया था लेकिन राजनीति की दुनिया में वह (मुलायम सिंह) उनके गुरु बन गए।
जन्मदिन कार्यक्रम के मंच पर समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने विशेष आग्रह करके अपने गुरु को बुलवाया और उनके बगल में खड़े रहकर मुस्कुराते हुए सारी बातें सुनते रहे। उदय प्रताप सिंह ने बोला कि इनसे (मुलायम सिंह से) हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है। लेकिन जब गुरु उदय प्रताप सिंह ने माइक संभाला तो उन्होंने बोला कि ये नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का बड़प्पन है। ईमानदारी की बात तो ये है कि मैंने नेताजी से बहुत कुछ सीखा है। उदय प्रताप सिंह ने बोला कि मुझे नेताजी ने ही पहली बार एमपी बनाया तब इन्होंने मुझसे बोला था कि आप अंग्रेजी के अध्यापक हैं, अंग्रेजी पढ़ाते रहे हैं, संसद में अंग्रेजी मत बोलना। आपने जिस भाषा में वोट मांगे हैं और जिन भाषाभाषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उन्हीं की भाषा बोलना। दूसरी बात इन्होंने यह सिखाई कि उस समय तक मैं कोट-पैंट, सूट पहनता था, नेताजी ने बोला कि जनता का काम करना है तो जनता की ड्रेस पहननी है आपको।
उदय प्रताप सिंह ने तब बोला था कि मैंने इन्हें (मुलायम सिंह को) अंग्रेजी पढ़ाई और फिर हम दोनों ने मिलकर अंग्रेजी का विरोध किया। इन्होंने ये बोला कि अंग्रेजी हिंदुस्तान की भाषाओं के पीछे एक भाषा हो सकती है लेकिन वो हमारी भाषाओं का संचालन नहीं कर सकती। जब तक हिंदुस्तान में अंग्रेजी रहेगी तब तक जो हमारे संविधान का संकल्प है कि हम सबको सामाजिक, आर्थिक और सियासी आजादी देंगे वो संभव नहीं है।
छमाही में आए थे कम नंबर
इसी कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निवेदन पर उनके गुरु उदय प्रताप सिंह ने एक और किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि उस वर्ष छमाही परीक्षा में मुलायम सिंह यादव के नंबर कम आए थे। इधर, ये जिला स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में लाइट वेट चैम्पियन हो गए और इनका नाम असोम में राज्य की ओर से लड़ने के चला गया। तो ये जब जाने को हुए तो मैंने इनको बुलाया और बोला कि इंटरमीडिएट की फाइनल परीक्षा में दो महीने ही रह गए हैं। यदि आप गए तो फिर अखबार में आपका रोल नंबर चश्मा लगाकर खोजने से भी नहीं मिलेगा। बेहतर ये है कि कुश्ती छोड़ो और ध्यान से पढ़ो। पास हो जाओगे तो कुछ बन जाओगे। तब इन्होंने बोला कि मैं कभी फेल नहीं हूंगा।
मुलायम के शिक्षक रहे उदय प्रताप सिंह ने बोला कि ये (मुलायम) कहीं नहीं गए, हमारी बात मान ली। फिर भी मुझे शंका थी। मैंने इनसे पूछा कि मैं कैसे मान लूं कि आप पास हो जाओगे। तो इन्होंने बोला कि आपने जो महत्वपूर्ण प्रश्न बताए हैं उन्हें मैं तैयार कर लूंगा। फिर अगले दिन इन्होंने आकर मुझे मय कामा, फुलस्टाप सब सुना दिया। लिखकर भी दिखा दिया। तब मैंने बोला कि था आपका मस्तिष्क बहुत तेज है। आप जो भी याद करना चाहते हैं वो याद कर लेते हैं। आप निश्चित पास हो जाएगा और वास्तव में मुलायम सिंह उस इम्तिहान में पास हो गए और फिर जीवन में पास होते ही चले गए।