उत्तर प्रदेश

इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे अखिलेश को है उम्मीद

Akhilesh Yadav: सर्वाधिक लोकसभा सीट वाले यूपी में विपक्ष के सशक्त चेहरे के तौर पर अखिलेश यादव अपनी पहचान रखते हैं. सात वर्ष से समाजवादी पार्टी की कमान संभाल रहे अखिलेश यादव साल 2012 में विधानसभा चुनाव में मिली सफलता को इस बार लोकसभा चुनाव में दोहराने की प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने इस बार आम चुनाव में पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक को बड़े अभियान के तौर पर पेश किया है.

इंडिया गठबंधन के अनुसार चुनाव लड़ रहे अखिलेश को आशा है कि इस बार पीडीए की जमीन पर तैयार उनका गठबंधन बीजेपी को कड़ी भिड़न्त देगा. समाजवादी पार्टी को चुनावी मोर्चे पर ले जाने के लिए अखिलेश यादव कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी संग संयुक्त रैलियां करने जा रहे हैं.

युवाओं में लोकप्रिय अखिलेश के सामने अगड़ी जातियों और पीडीए के बीच संतुलन बनाने की चुनौती है. इसके लिए वह नरम हिंदुत्व की राह पर चलते हुए पार्टी कार्यालय में शालिग्राम की पूजा करते दिखते हैं तो यह भी कहते हैं कि परिवार के साथ रामलला के दर्शन करने अयोध्या जाएंगे. अखिलेश लुभावने चुनावी वादों, जातीय समीकरणों और बूथ मैनेजमेंट के भरोसे बड़ी जीत की प्रयास में हैं. यूं तो उनकी पार्टी 2014 के आम चुनाव से बीजेपी से शिकस्त खा रही है, पर यह भी सच है कि समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव में मजबूत भी होती जा रही है.

भाजपा की लहर के बावजूद पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी 111 सीटें जीतने में सफल रही जबकि बीएसपी और कांग्रेस पार्टी एक और दो सीट पर सिमट गई. इसीलिए बीजेपी के निशाने पर अखिलेश यादव ही रहते हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और मुलायम ने सीएम पद पर बेटे अखिलेश को सौंप दिया. वह उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र (38 साल) के सीएम बने थे. अखिलेश के राजनीतिक यात्रा में एक दौर ऐसा भी आया जब पार्टी में अंतर्कलह के बीख् चाचा शिवपाल अलग हो गए. बाद में शिवपाल अखिलेश एक हो गए और इस बार पूरा परिवार एकजुट होकर समाजवादी पार्टी को सफल बनाने में जुटा है.

उपजा असंतोष बड़ी चुनौती 
आम चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में देरी और उनमें परिवर्तन अखिलेश के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई हैं. उन्होंने आठ सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं. इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष से कई धड़े बन गए हैं. हालांकि इस चुनौती से निपटने के लिए अखिलेश ने टिकट बदलने के बाद सभी हटाए गए नेताओं से मिलकर उन्हें संतुष्ट करने का कोशिश किया है.

पीडीए की रणनीति के आधार पर प्रत्याशियों का चयन
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बार सभी जातियों को तरजीह देने की रणनीति अपनाई है. पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक और अगड़े की नीति पर चलते हुए ऐसे ही प्रत्याशियों का चयन कर रहे हैं. साथ में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ चुनावी रैलियां करने की योजना है.

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