उत्तर प्रदेश

यहाँ महंगाई के इस दौर में एक डाइट की कीमत सिर्फ 12.50 रुपये

महंगाई के इस दौर में सड़क किनारे चाय भी अब 10 रुपये में कठिन से मिलती है लेकिन पुलिस वाले हवालात में बंद लोगों को साढ़े 12 रुपए में ही खाना खिला रहे हैं. इस प्रबंध को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने कई बार आवाज उठाई लेकिन इस रेट में परिवर्तन नहीं हुआ है.

रोजाना ही हर पुलिस स्टेशन में अनेक लोगों को पुलिस किसी न किसी क्राइम में अरैस्ट करती है या फिर हिरासत में लेती है. अरैस्ट किए गए ज्यादातर लोग रात भर पुलिस स्टेशन की हवालात में बंद रहते हैं और अगले दिन न्यायालय में पेश करके उन्हें कारावास भेजा जाता है. इस बीच उन्हें खाना खिलाने और चाय पिलाने की जिम्मेदारी पुलिस स्टेशन की होती है. इसके लिए विभाग पुलिस स्टेशन को प्रति मुल्जिम एक समय के खाने के साढ़े 12 रुपये देता है. पूरे प्रदेश में यह प्रबंध वर्ष 2019 से लागू है. यह दूसरी बात है कि इतने पैसे में खाना देना सम्भव ही नहीं है. सामान्य तौर पर हवालात में बंद लोगों के परिजन ही भोजन की प्रबंध करते हैं. या फिर, पुलिस अपने स्तर पर प्रबंध करती है. मानव अधिकार से जुड़े संगठन लगातार पैसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

उनका बोलना है कि हवालात में बंद आदमी के भी कुछ अधिकार हैं. कम से कम आज के समय की महंगाई के हिसाब से खाने के लिए भुगतान होना चाहिए. महंगाई रेट के सापेक्ष इस बजट में हर साल वृद्धि होनी चाहिए.

 एक दिन के लिए 30 रुपये का पैकेज 

थाने में अपराधियों को भोजन कराने के लिए प्रति आदमी प्रति दिन 30 रुपये का पैकेज बनाया गया है. इस पैकेज में उन्हें दो समय का खाना और एक बार चाय देने का प्रावधान है. चाय के लिए पांच रुपये और खाना के लिए 25 रुपये की प्रबंध की गई है.

पहले खाने के लिए मिलते थे पांच रुपये 

यूपी पुलिस की वेबसाइट पर मौजूद शासनादेश के अनुसार वर्ष 1989 से पुलिस स्टेशन के विचाराधीन बंदियों के लिए प्रति आदमी एक समय के खाने के लिए पांच रुपये देने की प्रबंध थी. लंबे समय तक इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया. हालांकि लगातार परिवर्तन की मांग उठ रही थी. वर्ष 2019 में पुलिस मुख्यालय ने इस पर संज्ञान लेते हुए पूरे दिन के खाने और चाय के लिए 30 रुपये का पैकेज निर्धारित कर दिया. तब से यही रेट चल रही. हालांकि वर्तमान में जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, उसे देखते हुए इस रेट पर लगातार प्रश्न उठ रहे हैं.

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