उत्तर प्रदेश

‘होइए वही जो राम रचि राखा’, बृजभूषण का इशारा…

लोकसभा चुनाव से यूपी की राजनीति किसी शतरंज की बिसात जैसी नजर आ रही है, जहां पार्टियां अपनी जीत के लिए एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही हैं. दरअसल उत्तर प्रदेश के दो ऐसे प्रमुख जिले हैं जो लोकसभा चुनाव के लिए अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों के नाम का प्रतीक्षा कर रहे हैं लेकिन प्रमुख सियासी पार्टियां हैं कि इन दोनों सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का घोषणा करने को तैयार नहीं है.

उन दो प्रमुख जिलों में से एक जिला तो पिछले कुछ दिनों से खूब हंगामा मचाए है. भैया हम बात कर रहे हैं कैसरगंज की जो केवल एक हाई-प्रोफाइल सीट नहीं बल्कि हाई प्रोफाइल नेता का गढ़ भी रहा है जिनकी चर्चा ने इन दिनों खूब सुर्खियां बटोरी हैं.

हम बात कर रहे हैं यूपी की कैसरगंज सीट और वहां के भाजपा नेता बृज भूषण शरण सिंह की. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार का घोषणा करने पर फंसी नजर आ रही है. सब को आशा था कि इस बार कैसरगंज सीट अपना उम्मीदवार पा ही जाएगा. मगर इस बार भी ऐसा नहीं हुआ. कैसरगंज का माहौल आशा का नहीं बल्कि चिंता का है. इस सीट से विधायक हैं बृजभूषण शरण सिंह! नाम तो आपने सुना ही होगा.

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वे पिछले दो वर्ष से हिंदुस्तान के कुछ शीर्ष पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के चलते सुर्ख़ियों में छाए हुए हैं. सियासी जानकारों का ऐसा मानना है कि इन आरोपों के चलते उन्होंने अपनी चमक भले ही खो दी हो, मगर कैसरगंज सीट पर उनका आज भी काफी असर है. और ये आंकड़े भी कहते हैं 2019 के चुनाव को ही देख लीजिये जिसमें इस सीट से उन्हें 2,60,000 वोटों से जीत मिली थी.

वहीं उड़ती हुई समाचार ये भी है कि इस सांसद के सपा के साथ भी अच्छे संबंध हैं, यही वजह है कि स्वयं अखिलेश यादव भी अब तक बृजभूषण शरण सिंह पर कुछ ख़ास टिप्पणी करते नजर नहीं आए हैं. 2008 में तो बीजेपी से निष्काषित होने पर उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन भी कर लिया था मगर फिर 2014 में वापसी कर ली थी.

ऐसे में बीजेपी की दुविधा भी लाज़मी है. वह न तो स्वयं को बृजभूषण से दूर कर सकती है है और न ही कैसरगंज के चुनावी लड़ाई में उनका साथ ले जा पा रही है. इस बीच आज डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह यौन उत्पीड़न मुद्दे की सुनवाई के लिए दिल्ली के राउज एवेन्यू न्यायालय पहुंचे थे. जहां उन्होने टिकट को लेकर इशारो ही इशारों में बहुत कुछ कह दिया है.

होइए वही जो राम रचि राखा…” बृजभूषण शरण सिंह ने प्रश्न के उत्तर में ये जो इशारा किया है वो आखिर किस तरफ था. ये तो आने वाला समय ही बताएगा. मगर जानकारों की मानें तो कैसरगंज सीट पर पांचवें चरण में मतदान होना है. ऐसे में हो सकता है भाजपा प्रारम्भ के तीन चरणों के मतदान के बाद ही इस सीट पर निर्णय करेगी. हो सकता है कि भाजपा कैसरगंज से बृजभूषण को एक बार फिर मौका दे दे. वहीं चर्चा ये भी है कि भाजपा कैसरगंज से बृजभूषण की पत्नी या उनके किसी खास को मौका देकर अपनी इस मुसीबत से छुटकारा पा सकती है. खैर आपको क्या लगता है हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा…

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