उत्तर प्रदेश

जब मुख्तार अंसारी के लिए सुप्रीम कोर्ट में भिड़ गई थीं यूपी और पंजाब की सरकारें, फिर…

माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार की रात हार्टअटैक से मृत्यु हो गई. बांदा कारावास की बैरक में मुख्तार को हार्ट अटैक आया था. पंजाब की कारावास से उत्तर प्रदेश लाने के बाद इसी बांदा कारावास में मुख्तार अंसारी रखा गया था. मुख्तार अंसारी के रसूख को इस बात से समझा जा सकता है कि उसके लिए उत्तर प्रदेश और पंजाब की सरकारें उच्चतम न्यायालय में भिड़ गई थीं. दोनों सरकारों को सु्प्रीम न्यायालय में शपथ पत्र देना पड़ा था. पंजाब गवर्नमेंट मुख्तार अंसारी को अपने यहां की कारावास में रखना चाहती थी. जबकि उत्तर प्रदेश की योगी गवर्नमेंट मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश लाकर उसके अपराधों में ट्रायल कराकर सजा दिलाना चाहती थी. ट्रायल और सजा से बचने के लिए ही मुख्तार पंजाब की कारावास में रहना चाहता था.

पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट से मिलीभगत से कारावास में ही मौज काटने की खबरें उत्तर प्रदेश आती रहीं. इसी बीच पेशी के दौरान उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के नंबर की एम्बुलेंस की फोटो-वीडियो वायरल होने पर मुद्दा इतना अधिक चर्चित हो गया कि योगी गवर्नमेंट मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश लाने के लिए उच्चतम न्यायालय तक पहुंची और अंततः वहां पर स्वयं लड़कर मुख्तार 6 अप्रैल 2021 को उसे उत्तर प्रदेश लाने में सफल भी रही. इसके बाद प्रारम्भ हुआ मुख्तार अंसारी के दुर्दिन का सिलसिला आज मृत्यु के साथ समाप्त हुआ है. इस दौरान लगातार पैरवी के कारण मुख्तार अंसारी को दो मामलों में उम्रकैद और छह अन्य मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है.

रोपड़ कारावास में मुख्तार को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के इल्जाम पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट पर लगे थे. आम आदमी पार्टी की गवर्नमेंट बनने के बाद मुख्तार अंसारी की खातिरदारी पर खर्च हुए 55 लाख रुपये का भुगतान करने से भगवंत मान की गवर्नमेंट ने इंकार भी कर दिया था.

मुख़्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी में दर्जनों मुकदमा दर्ज हैं लेकिन वो फिरौती के एक मुक़दमे में पंजाब की रोपड़ कारावास में बंद होने के कारण उसका यहां ट्रायल नहीं हो पा रहा था. उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट को यह भी पता चला कि वह जानबूझकर यहां नहीं आना चाहता है. पंजाब की कारावास में उसकी मौज हो रही है. पंजाब गवर्नमेंट से इस बारे में उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुहार भी लगाई. कई बार न्यायालय का आर्डर भी पुलिस पंजाब गई लेकिन रोग का बहाना बनाकर मुख्तार आने से इनकार करता रहा.

इसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी गवर्नमेंट मुख्तार को उत्तर प्रदेश लाने के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंच गई. न्यायालय में गवर्नमेंट की तरफ से कहा गया कि मुख़्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की न्यायालय में पेश करना है. बोला कि पंजाब की गवर्नमेंट दो वर्षों से मुख्तार को उत्तर प्रदेश नहीं आने दे रही है. न्यायालय में पंजाब गवर्नमेंट भी मुख्तार के साथ खड़ी हो गई. उसने हलफ़नामा दाखिल कर कह दिया था कि मुख़्तार अंसारी को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ समेत कई बीमारियां हैं जिनकी वजह से डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की राय दी है और उन्हें अभी उत्तर प्रदेश नहीं भेजा जा सकता.

यूपी गवर्नमेंट की ओर से उच्चतम न्यायालय में शपथ पत्र दिया गया और बोला गया है कि मुख़्तार अंसारी ने उत्तर प्रदेश की कारावास में रहते हुए फ़ोन के ज़रिए कई अपराधों को अंजाम दिया है, जिसकी जांच-पड़ताल की जा रही है. शपथ पत्र में बोला गया है कि कई मामलों में उसका यहां होना आवश्यक है, वरना संगठित क्राइम को ख़त्म करने की कोशिशें प्रभावित होंगी. दोनों तरफ से दलीलें सुनने के बाद अंततः उच्चतम न्यायालय में उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट की जीत हुई और मुख्तार को पंजाब की रोपड़ कारावास से उत्तर प्रदेश के बांदा कारावास में शिफ्ट कर दिया गया. इसके बाद मुख्तार के मामलों की तेजी से ट्रायल प्रारम्भ हुआ. इसका असर रहा कि आठ मामलों में उसे सजा सुना दी गई.

इन मामलों में हो चुकी है सजा
फर्जी शस्त्र लाइसेंस और अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद हुई थी. इसके अतिरिक्त मुख्तार को सबसे पहले रुंगटा परिवार को बम से उड़ाने की धमकी में 15 दिसंबर 2023 को पांच वर्ष की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई. इसके बाद चर्चित अवधेश राय हत्याकांड में पांच जून 2023 को उम्रकैद, गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर की एमपी/एमएलए न्यायालय ने 29 अप्रैल, 2023 को 10 साल के सश्रम जेल और पांच लाख रुपये का अर्थदंड, गैंगस्टर एक्ट में ही गाजीपुर की एमपी/एमएलए न्यायालय से 15 दिसंबर 2022 को 10 साल के सश्रम जेल और पांच लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई.

सरकारी कर्मचारी को काम से रोकने और धमकाने के मुद्दे में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 21 सितंबर 2022 को सजा सुनाई थी. आलमबाग (लखनऊ) पुलिस स्टेशन में दर्ज मुकदमा की धारा 353 में दो वर्ष की कैद, 10 हजार रुपये अर्थदण्ड, धारा 504 में दो वर्ष की कैद, दो हजार अर्थदण्ड और धारा 506 में सात वर्ष की कैद, 25 हजार रुपये की सजा से मुख्तार दंडित हो चुका है. लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज गैंगस्टर एक्ट में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 23 सितंबर 2022 को दो वर्ष की कैद 10 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया.

एक प्रकरण में उच्चतम न्यायालय से हुआ बरी
आर्म्स एक्ट और 5-टाडा एक्ट के अनुसार नयी दिल्ली में दर्ज मुकदमा में कोर्ट एएसजे साउथ डिस्ट्रिक्ट नयी दिल्ली ने 25 फरवरी 2003 को मुख्तार को पांच लाख 55 हजार के अर्थदण्ड और 10 साल के सश्रम जेल से दंडित किया था. इस निर्णय के विरुद्ध मुख्तार अंसारी ने अपील की थी. उच्चतम न्यायालय ने 21 अप्रैल 2005 को इस मुद्दे में उसे बरी कर दिया.

रुंगटा प्रकरण में सजा पर है रोक
एमपी-एमएलए न्यायालय ने रुंगटा परिवार को बम से उड़ाने की धमकी देने के इल्जाम में मुख्तार अंसारी को 15 दिसंबर 2023 को पांच वर्ष की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी. इस निर्णय के विरुद्ध मुख्तार अंसारी की ओर से हुई अपील हुई. 16 जनवरी 2024 को प्रभारी जिला न्यायधीश की न्यायालय ने सजा पर रोक लगा दी थी. रोक के विरुद्ध अपील पर अभी सुनवाई चल रही है.

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