उत्तर प्रदेश

क्षत्रिय समाज की नाराजगी को दूर करने की कोशिशें शुरू

ऐसे में क्षत्रिय समाज की नाराजगी को दूर करने की कोशिशें भी प्रारम्भ हो गई हैं. समाचार है कि क्षत्रिय समाज की बीजेपी से बढ़ती इसी नाराजगी को कम करने के लिए अब राष्ट्र के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को कमान सौंपा गया है. जिसके बाद राजनाथ सिंह पक्षिमी यूपी में बीजेपी विरोध के चलते आज सहारनपुर जाएंगे. ऐसे में कई प्रश्न उठते हैं, जैसे कि भाजपा से राजपूत समाज क्यों नाराज हैं, यहां के ठाकुर समाज से जुड़े आंकड़े क्या कहते हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर कुछ संगठन द्वारा किया जा रहा बीजेपी का बहिष्कार क्या पार्टी का समीकरण बिगाड़ पाएगा? तो आइए जानते हैं इन सभी प्रश्नों के जवाब.

सबसे पहले ये जान लेते हैं की ये पूरा मुद्दा क्या है

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मिशन 80 के लक्ष्य को भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रास्ते भी पाना चाहती है और इसके लिए योजनाबद्ध ढंग से आगे भी बढ़ रही है. मगर लगता है कि उसकी रणनीति पर ठाकुर क्षत्रिय समाज पानी फेर देगा.

हाल ही में क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ में क्षत्रियों ने भाजपा के विरोध का घोषणा किया है. क्षत्रिय समाज ने बहुत तल्खी के साथ बोला है कि सम्मान से समझौता कतई नहीं किया जाएगा और इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाया जाएगा. इस नाराजगी के पीछे उन्होंने अपनी मांगों को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के तरफ से नजरअंदाज करना कहा है.

क्या कहते हैं आंकड़े…?

आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में सात फीसदी के करीब ठाकुर जाति के वोटर हैं. हालांकि प्रदेश में करीब 48 विधायक राजपूत या क्षत्रिय समाज से आते हैं. जिनमें 42 तो अकेले भाजपा से हैं. चार समाजवादी पार्टी और बचे अन्य दलों से जुड़े हुए हैं. स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी समुदाय से संबंध रखते हैं. एक दौर ऐसा था जब ये समाज कांग्रेस पार्टी का कोर वोटर हुआ करता था, फिर सपा और बसपा के साथ भी ये समाज खड़ा रहा है. मगर मौजूदा समय में राजपूत समाज भाजपा के कट्टर समर्थक के रूप में गिने जाते हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी क्षत्रिय समाज की नाराजगी को भुनाने का कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, भाजपा ने भी इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए डैमेज कंट्रोल प्रारम्भ कर दिया है. अब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का सहारनपुर जाना कितना असर दिखाएगा वो वक़्त ही बताएगा मगर इन हालातों को देखने के बाद ये साफ़ है कि यदि वक़्त रहते बीजेपी ने फैली इस नाराजगी का कोई हल नहीं निकाला तो चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

 

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