बोरिया मजूमदार ने अपनी नई किताब ‘बैन्डः ए सोशल मीडिया ट्रायल’ में अपने कड़वे अनुभवों को किया शेयर
Boria Mazumdar Social Media Trial: प्रतिदिन ट्रोलिंग… गालियों से भरे हजारों ट्वीट्स… सोशल मीडिया ट्रायल किस तरह किसी को तोड़ देता है। इसको लेकर खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार ने अपनी नयी पुस्तक ‘बैन्डः ए सोशल मीडिया ट्रायल’ में अपने कड़वे अनुभवों को शेयर किया है। पुस्तक में बोरिया मजूमदार ने कहा कि कैसे टीम इण्डिया के एक क्रिकेट के आरोपों के बाद उन्हें खेल कवरेज से दो वर्ष के लिए बैन कर दिया गया। इतना ही नहीं उन्हें सोशल मीडिया ट्रायल से भी गुजरना पड़ा, जिसने उन पर और उनके परिवार पर किस तरह मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रतिकूल असर डाला। अब वो अपनी इस पुस्तक में पूरी कहानी को लेकर सामने आए हैं।
बोरिया मजूमदार ने इस दौरान मिले समर्थन का भी किया जिक्र
बोरिया मजूमदार ने अपनी पुस्तक ‘बैन्डः ए सोशल मीडिया ट्रायल’ को मंगलवार (23 अप्रैल) को कोलकाता में आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया। पुस्तक में बोरिया ने अपने कड़वे अनुभवों के साथ उन लोगों का भी जिक्र किया है, जिन्होंने इस मुश्किल समय में योगदान किया। उन्होंने पुस्तक में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा और मशहूर बैडमिंटन कोच और 2001 ऑल इंग्लैंड चैंपियन पुलेला गोपीचंद से मिले समर्थन का जिक्र किया है।
क्रिकेटर के आरोपों के बाद निशाने पर आ गए थे बोरिया मजूमदार
बोरिया मजूमदार दो वर्ष पहले उस समय सोशल मीडिया पर निशाने पर आ गए थे, जब टीम इण्डिया के एक क्रिकेटर ने दावा किया कि बोरिया मजूमदार ने उसे धमकाया है। क्रिकेटर ने उनकी वार्ता के कुछ वॉट्सऐप स्क्रीनशॉट भी शेयर किए थे। इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए बोरिया मजूमदार पर पर्सनल हमले किए गए, जिसको उनके परिवार ने भी महसूस किया। इसमें उनकी मां, पत्नी, बहन और यहां तक की उनकी 8 वर्ष की बेटी और मृत पिता भी शामिल थे, जिनको सोशल मीडिया ट्रायल से गुजरना पड़ा।
बर्बाद हो गया करियर और स्टार्टअप
48 वर्षीय बोरिया मजूमदार ने तब पूरे प्रकरण के बारे में सार्वजनिक रूप से खामोशी रखने का विकल्प चुना था, जिससे उनका करियर और उनके हाल ही में लॉन्च किए गए स्टार्टअप- रेव स्पोर्ट्ज का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया था। आखिरकार उन्होंने पूरे टकराव पर अपना दृष्टिकोण लिखने का निर्णय किया।
इसके साथ ही उन्होंने एक पेशेवर के सामने आने वाली चुनौतियों का दस्तावेजीकरण भी किया गया है, जब वह प्रतिबंध झेलने और अपने ऊपर लगाए गए हर प्रतिबंध का पालन करने के बाद सोशल मीडिया ट्रोल्स की ताकत के सामने शक्तिहीन हो जाता है।
रोजाना ट्रोलिंग… गालियों से भरे हजारों ट्वीट्स
किताब लॉन्च के अवसर पर बोलते हुए बोरिया मजूमदार ने कहा, ‘एक सोशल मीडिया ट्रायल आपको तोड़ सकता है। लगातार कई दिनों तक गाली-गलौज के हजारों ट्वीट होते रहे। सभी झूठों पर आधारित थे, जो किसी बहुत ताकतवर आदमी द्वारा फैलाए गए थे, क्योंकि वह राष्ट्र और राष्ट्रीय टीम के लिए खेला था। एक बड़े नाम के विरुद्ध मुझे कभी कोई मौका नहीं मिला। औनलाइन ट्रायल ने मुझे और मेरे परिवार को अंदरूनी ताकत के हर अंतिम हिस्से को इस्तेमाल करने के लिए विवश किया। लेकिन, इसके बाद भी वह स्थायी निशान छोड़ गया।
बोरिया मजूमदार ने आगे कहा, ‘प्रतिबंध झेलने के बाद मैं इस पुस्तक के रूप में समाप्ति चाहता था। लेकिन, इससे बेहतर कोई नहीं जानता कि कभी पूर्णविराम नहीं लगेगा। मुझे वे दो वर्ष के अवसर वापस नहीं मिलेंगे जो मैंने खो दिए। या वे दिन और शामें जब मैं अपनी बेटी के लिए लगभग अजनबी था।‘
बोरिया मजूमदार को पुलेला गोपीचंद ने दी थी सलाह
सोशल मीडिया ट्रायल के खतरों के बारे में बोलते हुए पुलेला गोपीचंद ने कहा, ‘सोशल मीडिया के लगातार दुरुपयोग के कारण हम आशा खो देते हैं। आशा और प्रेरणा खोना सबसे बुरी चीज है, जो हमारे साथ हो सकती है। जब यह टकराव हुआ तो बोरिया मजूमदार को मेरी एक ही राय थी कि वह उस काम पर ध्यान केंद्रित करें जो वह सबसे अच्छा करते हैं- अपनी पत्रकारिता। और बाकी सब कुछ भूल जाएं।‘
अभिनव बिंद्रा ने यह रेखांकित किया कि कैसे एथलीटों का सोशल मीडिया पर जरूरी असर होता है और वे कहानी को आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने महसूस किया कि खिलाड़ियों को सोशल मीडिया पर चीजें डालते समय अधिक सावधान रहना चाहिए और जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि एथलीट और एक समुदाय के रूप में हमें कुछ मूल्यों पर खड़े रहना चाहिए। हम जो कहते हैं उसमें बहुत सावधान रहना चाहिए। मुझे लगता है कि हम सोशल मीडिया पर जो कुछ भी डालते हैं उससे हमें बहुत सावधान रहना चाहिए और इसे कुछ हद तक जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए।
बोरिया मजूमदार की पुस्तक में क्या-क्या?
किताब न सिर्फ़ उस घटना के बाद बोरिया मजूमदार और उनके परिवार द्वारा सहन की गई चुनौतियों के बारे में बताती है, बल्कि उनके और क्रिकेटर के बीच की पिछली वार्ता और उनके विरुद्ध इस्तेमाल किए गए उनके मैसेज के पीछे के संदर्भ पर भी प्रकाश डालती है।
बोरिया मजूमदार की पत्नी ने भी बयां किया अपना दर्द
ट्रोल्स द्वारा टारगेट किए जाने और सोशल मीडिया के दुरुपयोग के कारण झेले गए मुश्किल समय पर के बारे में बोलते हुए बोरिया मजूमदार की पत्नी डाक्टर शर्मिष्ठा गुप्तू ने कहा, ‘मैं सिर्फ़ आभारी हो सकती हूं कि मेरी बेटी तब आठ वर्ष की थी। वह तब सोशल मीडिया पर पिता का अपमान देखने के लिए 14 या 15 वर्ष की भी नहीं थी। ट्रोल्स ने उस दौरान उसे या मुझे भी नहीं बख्शा था।‘