US ने भारत को लेकर फिर उगला जहर, MEA ने लगाई क्लास
नई दिल्ली। मणिपुर सहित हिंदुस्तान के अन्य हिस्सों में मानवाधिकार उल्लंघन की कथित घटनाओं का हवाला देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। हिंदुस्तान की तरफ से भी इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया आई। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए बोला गया कि यह हिंदुस्तान की खराब समझ को दर्शाती है और हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं।
अमेरिका गवर्नमेंट की इस रिपोर्ट में जातीय संघर्ष के फैलने के बाद मणिपुर में मानवाधिकारों के हनन की घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इसपर कहा, “यह रिपोर्ट बहुत पक्षपातपूर्ण है और हिंदुस्तान की खराब समझ को दर्शाती है।” उन्होंने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और आपसे भी ऐसा करने का आग्रह करते हैं।” रिपोर्ट में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (BBC) के कार्यालय पर भारतीय इनकम टैक्स विभाग द्वारा की गई छापेमारी का भी जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट के हिंदुस्तान खंड में क्षेत्रीय मानवाधिकार संगठनों, अल्पसंख्यक सियासी दलों और प्रभावित समुदायों ने मणिपुर में अत्याचार को रोकने और मानवीय सहायता प्रदान करने में देरी के लिए राष्ट्र की गवर्नमेंट की निंदा की। मीडिया कार्यालयों पर कर छापे का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में बोला गया है कि इनकम टैक्स ऑफिसरों की जांच अनियमितताओं से प्रेरित थी। ऑफिसरों ने उन पत्रकारों की भी तलाशी ली और उनके उपकरण बरामद किए जो संगठन की वित्तीय प्रक्रियाओं में शामिल नहीं थे।
2002 के गुजरात दंगों पर मीडिया की एक डॉक्यूमेंट्री का जिक्र करते हुए अमेरिका के विदेश विभाग ने इल्जाम लगाया, “सरकार ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए इमरजेंसी शक्तियों का इस्तेमाल किया था, मीडिया कंपनियों को वीडियो के लिंक हटाने के लिए विवश किया और देखने वाली पार्टियों का आयोजन करने वाले विद्यार्थी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।”