राष्ट्रीय

श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में दुबारा होगी सुनवाई

मथुरा: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मथुरा (Mathura) के श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi Case) और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद (Shahi Idgah Mosque Controversy) पर अदालत में बहस जारी है। मामले पर आज यानी 29 फरवरी को सुबह 11:30 बजे इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में दुबारा सुनवाई होने वाली है। इस से पहले शुक्रवार 23 फरवरी को सुनवाई हुई थी लेकिन सुनवाई में मुख्य रूप दलीलें पेश करने वाले मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी न हो सकीय थी। जिसके बाद अदालत ने 29 फरवरी को सुबह 11.30 बजे से मामले की अगली सुनवाई नियत की थी।

मथुरा की श्री कृष्ण जन्म भूमि और शाही ईदगाह से संबंधित टोटल 18 हो चूकाओं पर आज सुनवाई होनी है। हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल में दावा किया गया है की मस्जिद का निर्माण कटर केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ जमीन पर की गई है। इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच कर रही है।

पिछली सुनवाई में क्या हुआ?

मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल अर्जियों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई थी जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई याचिकाओं की पोषणीयता पर बहस हुई। सुनवाई में मुख्य रूप से मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की थी। लंच के बाद दोपहर 2 बजे से शाम चार बजे तक दो घंटे मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस की थी।

हालांकि अगली सुनवाई पर भी मुस्लिम पक्ष यानि शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से बहस जारी रहेगी। मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी होने के बाद हिंदू पक्ष को अपनी दलीलें पेश करने का मौका मिलेगा। बता दें,  मुस्लिम पक्ष की ओर से ऑर्डर 7 रूल्स 11 के तहत हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल अर्जियों की पोषणीयता को चुनौती दी गई है। मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी जा रही है कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिकाएं पोषणीय नहीं है।

क्या है मामला?

ये मामला 13.37 एकड़ जमीन के मालिक खाना हक का है जिसे लेकर यह पूरा विवाद खड़ा हुआ है। इस जमीन के 11 एकड़ में श्री कृष्ण मंदिर है और 2.37 एकड़ हिस्से में शाही ईदगाह मस्जिद है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पर  श्री कृष्ण जन्मभूमि है। इस जमीन को 1944 में मशहूर उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने खरीद लिया। जिसका सौदा राजा पत्नीमल के बारिशों के साथ में हुआ। तभी देश आजाद हुआ और 1951 से  श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना जिसे यह जमीन सौंप दी गई।

वर्ष 1953 में ट्रस्ट के पैसों से जमीन पर मंदिर बनवाया गया, जो 1958 में बनकर पूरा हुआ। 1998 एक नई संस्था बनी जिसका नाम श्री कृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान रखा गया। इसी संस्थान ने 1968 में मुस्लिम पक्ष के साथ एक समझौता किया। जिसमें कहा गया की जमीन पर मस्जिद और मंदिर दोनों रहेंगे। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस जगह पर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर हुआ करता था। जिसे मुगल काल में तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण कराया गया। ये पूरा विवाद 350 साल पुराना है।

Related Articles

Back to top button